मीडिया पर नहीं चला सकते मुकदमा, स्टिंग ऑपरेशन केस में हाईकोर्ट ने कहा
केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में दिए अपने फैसले में एक स्टिंग ऑपरेशन करने वाले दो टीवी पत्रकारों को बड़ी राहत दी है और उनके खिलाफ शुरू किए गए आपराधिक मुकदमे को रद्द कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चौथा खंभा यानी मीडिया का होना जरूरी है। हम उस पर ऐसे केस नहीं चला सकते हैं। यह मामला सनसनीखेज सौर घोटाले से जुड़ा हुआ है।जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारों के कामकाज पर रिपोर्टिंग करने या उसका स्टिंग ऑपरेशन करते समय प्रेस को कभी-कभी कानूनी सीमाओं को धुंधला करना पड़ सकता है। यह उसके काम का हिस्सा है क्योंकि जनता तक सही सूचनाएं पहुंचाना उनका कर्तव्य है और ईमानदारी से इसे पूरा किया जाना चाहिए। इसमें बाधा नहीं उत्पन्न करना चाहिए।बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने अपने फैसले में लिखा, “स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चौथा स्तंभ आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता का दुरुपयोग न हो और नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की जानकारी हो और उस प्रक्रिया में शामिल हों। चौथा स्तंभ काम कर रहा है या नहीं और उपरोक्त सिद्धांतों का पालन कर रहा है या नहीं, यह एक अलग बात है। लेकिन उपरोक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनकी ओर से कुछ ऐसी गतिविधियां हो सकती हैं, जिनकी कानून के अनुसार सामान्यतः अनुमति नहीं है। चौथे स्तंभ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ऐसी ही एक विधि है ‘स्टिंग ऑपरेशन’।”
बिहार प्रेस मेन्स यूनियन ( संबद्ध – आई एफ डबल्यू जे)के प्रदेश अध्यक्ष अनमोल कुमार, प्रधान महासचिव, रविशंकर शर्मा, महासचिव, राजकिशोर सिंह, सचिव, अवधेश कुमार शर्मा, संजय तिवारी, राजन मिश्रा ने केरल हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि मीडिया पर नहीं चला सकते मुकदमा एक एतिहासिक निर्णय है जो प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ की जीत है।