खूंटी में इतना ट्रैफिक जाम क्यों है भाई….. 

खूंटी : शहर की आबादी बढ़ने के साथ-साथ सड़कें छोटी होती जा रही है और वाहनों की संख्या बढ़ रही है.सडकों पर वाहन तो दूर की बात है पैदल चलने वालों के लिए भी जगह नहीं है.उपर चौक से नीचे चौक तक सुबह सात बजे से रात के आठ बजे तक गाड़ियों का रेला रहता है.खूंटी में कोई बाईपास नहीं होने के कारण मेन रोड ही एक सहारा है.इसपर रांची से सिमडेगा और चाईबासा जाने वाली गाड़िया गुजरती है.उपर से इंडियन ऑइल की गाडियां और प्रमुख ठेकेदारों के हाईवा का परिचालन होता है.शहर की गाड़ियों के लिए जगह ही नहीं मिलता है.खासकर जब स्कूलों से जब बच्चे निकलते हैं तो मेन रोड जाम हो जाता है. कई बार तो इस सड़क में भयानक दुर्घटना हुई है. वैसे इस सड़क पर हर दिन एक न एक दुर्घटना होती ही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां के विधायक और एमपी बाईपास निर्माण पर दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. जबकि चुनाव के समय बाईपास निर्माण की बात करते थे.चुनाव बीत जाने के बाद भूल गए.उपर से ट्रैफिक सिग्नल लगने के बाद और भी जाम लगने लगा है.

 कर्रा रोड निवासी संजय मुंडा,मोहन कुमार,संजय केशरी,समाजसेवी सह पूर्व झाविमो जिला अध्यक्ष दिलीप मिश्रा ने कहा कि शहर में जब से ट्रैफिक लाइट लगी है खूंटी की ट्रैफिक व्यवस्था और भी चरमरा गई है. ट्रैफिक लाइट लगाने का उद्देश्य था कि खूंटी को जाम से मुक्त करना. परंतु जब से ट्रैफिक सिग्नल चलना शुरु हुआ है जाम और भी बढ़ती जा रही है. क्योंकि टाइमिंग लाइट जलने की 1 मिनट फिक्स की गई. इस एक मिनट के अंदर में कतार में खड़े सभी वाहन सिग्नल पार नहीं कर पाती है. इसी की वजह से पहले के अपेक्षा अब ज्यादा जाम हो रहा है. जाम से मुक्त होने के बजाय खूंटी जाम के गिरफ्त में है. नेताजी चौक से लेकर भगत सिंह चौक के बीच जितने भी दुकानदार हैं वह भी त्राहि-त्राहि कर रहे हैं क्योंकि उनके व्यापार पर बहुत ज्यादा असर पड़ रहा है.

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