धर्म को मानने वाले विभीषण को अधर्म का प्रतीक बन गई लंका को नष्ट करने के लिए निकलना ही था:प्रतुल शाहदेव
रांची: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता के प्रेस वार्ता पर पलटवार करते हुए कहा की सीता स्वयं जी ने खुद पत्र में ये स्वीकार किया है कि पार्टी के भीतर उनको हमेशा अपमानित किया जाता रहा है। उनकी और उनके बेटियों की हमेशा अनदेखी की जाती रही है। प्रतुल ने कहा वह भी तब हुआ जब सीता सोरेन जी झारखंड आंदोलनकारी स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी की पत्नी है और सोरेन परिवार की बड़ी बहू।
प्रतुल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में बड़ी बहू को मां का दर्जा प्राप्त होता है। लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपनी मां समान बड़ी बहू को ही अपमानित किया। प्रतुल ने कहा कि झामुमो के प्रवक्ता ने सीता सोरेन जी के द्वारा उठाए गए मुद्दों का कोई जवाब दिया। जवाब भी कैसे देंगे।कोई जवाब ही नहीं है।प्रतुल ने कहा कि सीता सोरेन जी सत्ताधारी गठबंधन में रहने के बावजूद भी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाया करती थी।झामुमो के शहंशाह को यह बात शुरू से पसंद नहीं आती थी। परिवार में भी जब हिस्सेदारी की बात होती थी तो श्रीमती सीता सोरेन और उनकी बेटियों को हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा।झारखंड मुक्ति मोर्चा चाटुकारों से घिरी हुई पार्टी हो गई है।
प्रतुल ने कहा कि आज सीता सोरेन जी के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने ट्विटर हैंडल से उनके लिए ‘घर का भेदी लंका ढाए’ जैसे अपमानजनक बातों को लिखकर अपनी असलियत दिखा दी।यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्वीकार कर लिया कि यहां रावण राज के समान परिस्थितियों हैं और पूरे प्रदेश में अधर्म का शासन है। प्रतुल ने कहा ऐसे में तो किसी धर्म को मानने वाले विभीषण को अधर्म का प्रतीक बन गई लंका को नष्ट करने के लिए निकलना ही था।आखिरकार सीता जी अधर्म की लंका से एक बार फिर मुक्त हुई है।