अपडेटः हाईकोर्ट में शेल कंपनी और खनन लीज मामले में सुनवाईः कपिल सिब्बल ने ऱखा पक्ष , कहा याचिका में तथ्यों को छुपाया गया है, जो झारखंड हाई कोर्ट रूल का है उल्लंघन, मेंटेबलिटी पर सुनवाई पूरी,तीन जून को फिर होगी बहस

रांचीः झारखंड हाईकोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों की शेल कंपनियों में निवेश और खनन लीज से जुड़े मामले में चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एस एन प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई चल रही है। सीएम हेमंत सोरेन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए कहा याचिका में तथ्यों को छुपाया गया है, जो झारखंड हाई कोर्ट रूल का उल्लंघन हैं। जब मामला कहीं दर्ज नहीं है तो सीबीआई जांच का आदेश कैसे दिया जा सकता है। सिब्बल ने झारखंड हाईकोर्ट रुल 4A, 4B के तहत दलील देते हुए याचिका को तथ्यविहीन करार दिया। उन्होंने कहा कि 2013 में दायर दीवान इंद्रनील सिन्हा की याचिका को कोर्ट से रद्द किया गया था। इसे ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट को इस याचिकाकर्ता की विश्वसनीयता को देखना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने अपना पक्ष रखा. सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. तीन जून को मेंटेनबिलिटी पर फ़ैसला आएगा.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत से सप्लीमेंट्री पर दलील पेश करने का आग्रह किया। इस पर कोर्ट ने कहा कि पहले वैधता पर सुनवाई की जाएगी। खंडपीठ ने मनरेगा घोटाले से जुड़ी अरुण दुबे की याचिका को इस सुनवाई से यह कहते हुए अलग कर दिया कि इसकी वैधता पहले से तय हो चुकी है। मुकदमा भी दर्ज किया जा चुका है। वहीं सीएम हेमंत सोरेन ने अपने नाम से हाई कोर्ट में एफिडेविट फाइल कर कहा है कि वे खदान लीज मामला में पहले ही चुनाव आयोग के नोटिस का सामना कर रहे हैं। इसलिए हाई कोर्ट को भारत निर्वाचन आयोग का फैसला आने तक सुनवाई टाल देनी चाहिए। हालांकि, हाई कोर्ट झारखंड सरकार के ऐसे तर्क को पहले ही खारिज कर चुकी है

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