गीता जयंती पर तुलसी पूजन का आयोजन

रांची: श्री योग वेदांत सेवा समिति और साधक परिवार के तत्वाधान में साहित्य केंद्र रातू रोड के सौजन्य से गीता जयंती के अवसर पर तुलसी पूजन किया गया। सर्वप्रथम पूज्य संत श्री आसाराम जी बापू के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित भारतीय जनतंत्र मोर्चा केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी के साथ निवर्तमान पार्षद भाई अशोक यादव ने साथ किया । रातू रोड दुर्गा मंदिर प्रांगण में श्रद्धालु भाई बहन के बीच सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु तुलसी पूजन भी किया गया। तुलसी आयु आरोग्य को पुष्ट करती है तथा पाप नाशिनी है इसके स्पर्श मात्र से शरीर पवित्र हो जाता है। इसके सेवन से रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है। भगवत गीता और तुलसी की पूजा विधि विधान से करने के पश्चात आरती की गई। इस अवसर पर श्री अशोक यादव जी ने कहा यह हमारे संस्कृति के लिए गर्व की बात है मैं इस कार्यक्रम में शामिल होकर अपने आप को धन्य समझ रहा हूं। और ऐसा कार्यक्रम पहली बार देख रहा हूं। उन्होंने व्यवस्थापकों को बधाई दी। भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने कहा गुरु ही ज्ञान दे सकते हैं संत आसाराम जी बापू ने तुलसी की महिमा बताई रहस्यों को खोला और भागवत गीता की व्याख्या बापू ने सरल शब्दों में किया। आज मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश अर्जुन को दिया था आज ही के दिन गीता का पदुर्भाव हुआ था इसलिए गीता जयंती के अवसर पर दोनों कार्यक्रम हुए। इसके पश्चात राहगीर भाइयों भक्तों के बीच गाड़ियों को रोक रोककर 500 तुलसी का पौधा, 500 भागवत गीता, प्रसाद, पूजा बापूजी का पूज्य बापू जी का कैलेंडर का वितरण किया गया। तुलसी के रहस्य नामक पुस्तक भी लोगों को बीच वितरित किया गया। हमारी संस्कृति की पहचान गीता और तुलसी ही है सबों को गीता का अध्ययन करना चाहिए अध्यात्म और जीवन के रहस्यों को समझना चाहिए । कार्यक्रम को सफल बनाने में मनीष भाई, गोविंद भाई, गौतम जायसवाल, राजीव सिंह, प्रेम साहू, अर्जुन प्रसाद सिंह , विमलेश सिंह श्याम झा, सचिन इंदवार, दीपांजलि , नमिता जायसवाल, श्वेता कुमारी, सविता बहन के साथ पूज्य संत श्री आसाराम जी बापू के भक्तों की संख्या अधिक थी लोगों को युवाओं को सनातनी संस्कृति से जोड़ने हेतु यह कार्यक्रम पूज्य संत श्री आसाराम जी बापू द्वारा प्रारंभ किया गया था । की गीता जयंती के दिन गीता अधिक से अधिक युवाओं में वितरण हो और 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाए। वैसे अपनी संस्कृति के बारे में बच्चों को भी जानकारी देनी चाहिए।

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