गोड्डा में पर्यावरण संरक्षण के साथ आजीविका का साधन बना वृक्षारोपण

गोड्डा:आज के दौर में इंसान की बुनियादी ज़रूरतें शुद्ध हवा, स्वस्थ भोजन और स्वच्छ पानी हैं। वनों की कटाई और पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता की कमी के कारण असंतुलन पैदा हो रहा है। चूँकि हमारे पास जीवित रहने के लिए सिर्फ़ एक धरती है, इसलिए पर्यावरण की रक्षा करना और प्रदूषण को कम करना हर इंसान की पहली ज़िम्मेदारी है।
सामाजिक जिम्मेदारी को निभाते हुए अदाणी फाउंडेशन ने व्यापक वृक्षारोपण अभियान के माध्यम से झारखंड के गोड्डा स्थित पावर प्लांट के निकटवर्ती क्षेत्रों में इस साल 5000 से अधिक पौधे लगाए हैं। इसमें इमारती लकड़ियों जैसे सागवान के सबसे अधिक 15500 पेड़ और महोगनी के 12000 पेड़ लगाए गए हैं. वहीं फलदार वृक्षों में आम के 15000 पौधों का वृक्षारोपण किया गया है. इसके अलावा अमरूद के 3000, नींबू के 2200 पौधों के अलावा 13500 से अधिक जामुन, पीपल, बरगद, नीम, गुलमोहर, अशोक और सप्तपर्णी जैसे छायादार पौधे शामिल हैं. इसमें पावर प्लांट के निकटवर्ती गोड्डा सदर प्रखंड के मोतिया, डुमरिया, बक्सरा, पेटवी और पटवा जैसे गांवों के साथ-साथ पोडैयाहाट, महागामा, ठाकुरगंगटी प्रखंड के अलावा साहेबगंज जिले के अनेकों गांवों के किसानों को वृक्षारोपण अभियान में प्राथमिकता दी गई है।
अदाणी फाउंडेशन का मकसद बंजर भूमि को पुनः हरित करने और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार लाने में मदद करने के लिए एक पहल विकसित की है।
आजीविका का साधन बना वृक्षारोपण
बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण की इस पहल का प्रभाव पर्यावरण संरक्षण से कहीं आगे तक हुआ है। पेड़ों के रोपण और रखरखाव में स्थानीय समुदायों को शामिल करके, अदाणी फाउंडेशन ने विशेष रूप से किसानों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं। अदाणी पावर प्लांट के समीतवर्ती गांवों में आज तकरीबन पांच हजार एकड़ से ज्यादा जमीन पर लगे आम के पेड़ लगे हैं, जिससे यहां के किसान आम की फसल बेच कर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. बिरनियां गांव निवासी अजय मंडल और मनोहर यादव जैसे अनकों किसानों की मिसाल दी जा सकती हैं जिन लोगों ने आम की बगीचा लगाकर उन्हें अपना व्यापार बना लिया और स्वरोजगार का बेहतर तरीका ढूंढ़ लिया। इनसे प्रेरणा लेकर देवन्धा पंचायत के हेमंत लोहरा और फ्रांसिस मरांडी जैसे युवा किसानों ने इस साल अपनी बंजर जमीन पर आम के 300 से ज्यादा पेड़ों की बगीचा लगाया है जिसमें अदाणी फाउंडेशन की भूमिका अहम रही है.
बंजर भूमि को पुनः हरित करने का लक्ष्य
अदाणी फाउंडेशन का मकसद बंजर भूमि को पुनः हरित करने और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार लाने का है। स्थानीय किसानों की जरूरतों को समझते हुए अदाणी फाउंडेशन उन क्षेत्रों की पहचान करता है जहां सिंचाई के पर्याप्त साधन की कमी के चलते लोग अपनी जमीन पर खेती नहीं कर पाते हैं। फउंडेशन की ओर से उन क्षेत्रों में किसानों को खेतों में इमारती और फलदार वृक्षों के माध्यम से आय का एक स्थायी और विश्वसनीय स्रोत अर्जित करने में सहायता की जाती है। फाउंडेशन का उद्देश्य न सिर्फ ग्रामीण किसानों को अपने परिवारों के भरण-पोषण के लिए आय का स्रोत उपलब्ध कराना है बल्कि ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना और व्यापक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना भी है। साथ ही और आदिवासी क्षेत्रों के छोटे और भूमिहीन किसानों की सामाजिक-अर्थव्यवस्था, आजीविका सुरक्षा और पोषण प्रबंधन में भी इस अभियान की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

पेड़ गोद लेकर किसान दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश
पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण उपायों जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को प्राथमिकता देते हुए अदाणी फाउंडेशन ने ग्राम-प्रधानों, मुखिया, सरपंच समेत ग्रामीणों और स्कूली बच्चों तक को वृक्षारोपण अभियान से जोड़ा है। ग्रामीण हो या स्कूली छात्र हर कोई अपने लगाए हुए पेड़ को गोद लेकर उसकी देख-भाल करता है. इन प्रयासों के माध्यम से, फाउंडेशन का लक्ष्य समाज में वृक्षारोपण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति जिम्मेदारी और समझ की भावना पैदा करना है, जिससे पर्यावरण के प्रति जागरूकता का भविष्य में योगदान मिल सके।

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