दाने-दाने को मोहताज दलमा के राजा

झारखंड: झारखंड में आजीबो-गरीब स्थिति बन गई है। पुराने वाशिंदे दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। सरकार ने भी चुप्पी साध रखी है। बात कर रहे हैं दलमा की। राकेश दलमा के राजा हैं, लेकिन टाटा पावर में ठेका मजदूर हैं। हालांकि इतनी बड़ी जमीन का मालिक भले ही आज वन विभाग और झारखंड सरकार है, लेकिन इसके पुराने मालिक राकेश हेम्ब्रम के पुरखे थे। आज उनका जीवन गरीबी में गुजर रहा है।
हालांकि उनके पास तीन बीघा जमीन है, लेकिन उसी में दो भाई का परिवार गुजारा कर रहा है। गोविंदपुर स्थित गदड़ा की जमीन में धान की खेती करते हैं, लेकिन सिंचाई का समुचित प्रबंध नहीं होने से ठीक से फसल नहीं उगा पाते हैं। जमीन के अलावा अर्थोपार्जन का कोई बड़ा स्रोत नहीं है। इसके बावजूद यहां का आदिवासी समाज उन्हें दलमा राजा की मान्यता देता है। उनका सम्मान करता है। उनके दिशा-निर्देश पर ही झारखंड, बंगाल व ओडिशा के आदिवासी सेंदरा पर्व (शिकार पर्व) मनाता है। दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम की तीन बच्चे है, जिसमें एक बेटा व दो बेटी है। टाटा पावर की ठेका मजदूरी से जो वेतन मिलता है, उसका बड़ा हिस्सा बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर खर्च करते हैं।
दलमा राजा बताते हैं कि दलमा पहाड़ व जंगल पर सेंदरा पर्व कब मनाया जाएगा, इसके लिए उन्होंने बुधवार को गदड़ा स्थित अपने आवास पर 12 मौजा के प्रधान-मुखिया की बैठक बुलाई है। इसमें सामूहिक निर्णय लिया जाएगा कि सेंदरा कब मनाया जाएगा। इसके बाद बंगाल, ओडिशा व झारखंड में निमंत्रण भेजा जाएगा, ताकि उस दिन लोग तैयारी के साथ सेंदरा में शामिल हो सकें।

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