राज्यसभा चुनावः आ जा मेरी गाड़ी में बैठ जा……. किंग मेकर की भूमिका में रहेगा नवगठित झारखंड लोकतांत्रिक मोरचा

रांचीः झारखंड में सियासी तपिश अब अपने चरम पर है। घोटाले ,अनियमितता के साथ विओंड द रूल के मामले सामने आने से सियासी भूचाल तो आ ही गया है। अब राज्यसभा चुनाव को लेकर कुछ खास गेम चल रहा है। इसकी पटकथा झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान ही लिख दी गई थी। जब आजसू के सुदेश महतो, लंबोदर महतो, एनसीपी के कमलेश सिंह, निर्दलीय विधायक सरयू राय और अमित यादव एक साथ हो लिए। अब राज्य सभा चुनाव में भाजपा इन्हीं की ओर निहार रही है। दबे स्वर में कह भी रही है आ जा मेरी गाड़ी में बैठ जा……।
बताते चलें कि राज्यसभा की दो सीटों के लिए सात जुलाई से पहले चुनाव होने हैं. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. दोनों सीटें भाजपा की हैं. लेकिन इस बार बीजेपी के लिए कठिन डगर है पनघट की। इसके लिए बीजेपी को पुराने साथियों की ओर निहारना ही होगा। वर्तमान में विधानसभा में विधायकों की संख्या 80 है. कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की की सदस्यता रद्द होने की वजह से एक सीट कम हो चुकी है. इस बार झारखंड की एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए पहली प्राथमिकता के 27.6 वोट की जरूरत पड़ेगी. समीकरण की बात की जाए तो सत्ताधारी गठबंधन में झामुमो के 30, कांग्रेस के 17 और राजद का एक विधायक है. लिहाजा, सत्ताधारी दल के लिए एक सीट तो तय है. लेकिन दूसरी सीट के लिए उसके पास पहली प्राथमिकता के 21 वोट बचेंगे. भाकपा माले का साथ मिलने पर 22 वोट हो जाएंगे. लेकिन दूसरी सीट के लिए यह नाकाफी है.वहीं, दूसरी तरफ भाजपा के 26 विधायक हैं. उन्हें पहली प्राथमिकता के दो वोट की दरकार होगी. इसमें एनडीए के पुराने सहयोगी आजसू के पास दो वोट हैं. जो भाजपा की जीत के लिए काफी होंगे.

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