नियुक्ति पत्र बांटने की बाजीगरी से नीतीश कुमार बेरोजगारों युवकों की आंख में धूल झोंक रहे हैं: सुशील कुमार मोदी

पटना : बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि एनडीए सरकार के समय उर्दू शिक्षक से लेकर दरोगा-सिपाही तक, जिन 10 हजार से ज्यादा लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, उन्हीं को दोबारा नियुक्ति पत्र बांटने की बाजीगरी से नीतीश कुमार बेरोजगारों युवकों की आंख में धूल झोंक रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांधी मैदान में कभी गिलास से रुमाल और खाली बर्तन से कबूतर निकालने की बाजीगरी दिखाने वाले मजमा लगाते थे। आज उसी जगह नीतीश कुमार फूंक मार कर नियुक्ति पत्र निकाल कर दे रहे हैं।
मोदी ने कहा कि बुधवार को जिन 10,459 लोगों को दरोगा-सिपाही के पद पर नियुक्ति पत्र दिए गए, उन्हें एक साल पहले जनवरी में ही संबंधित जोन के SP और DIG नियुक्ति पत्र दे चुके हैं। उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा कि पुलिस सेवा के लोग जब बिना प्रशिक्षण पूरा किए पूरी वर्दी नहीं पहन सकते, तब नियुक्ति पत्र लेते समय वे वर्दी में कैसे दिखे? उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को उन नियुक्तियों के पत्र बांट कर श्रेय लेने का कोई नैतिक अधिकार नहीं, जिनकी प्रक्रिया 9 अगस्त को सरकार बदलने से पहले शुरू हो चुकी थी।
सुशील मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार की पहली कैबिनेट में पहले दस्तखत से 10 लाख युवाओं को स्थायी नौकरी देने का जो वादा किया गया था, उसका समय तो अभी तक शुरू ही नहीं हुआ। क्या वे कैबिनेट की सौ बैठकों के बाद गिनती शुरू करेंगे? सीएम नीतीश कुमार अथवा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव महागठबंधन सरकार में निकली किसी एक नियुक्ति के बारे में बताएं।
एनडीए काल की नौकरियों के सहारे, चेहरा चमकाने की कोशिश : जायसवाल
वहीं, बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने कहा कि राज्य सरकार नई नौकरियां देने में जीरो और भाजपा काल की नौकरियों का क्रेडिट लेने में हीरो की तरह एक्टिंग कर रही है। उन्होंने बुधवार को जारी बयान में कहा कि नीतीश सरकार पिछले दो महीनों से एनडीए काल की नौकरियों के सहारे, जिस तरह से अपना चेहरा चमकाने की कोशिश कर रही है, उससे साबित होता है कि जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए किसी भी हद को पार कर सकती है।
उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज के बाद अब पुलिसकर्मियों की नियुक्ति, यह सब के सब भाजपा काल के समय ही तय हो गई थी। इनमें से बहुतों को तो दुबारा नियुक्ति पत्र दिया गया है। आज भी जिन पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया है, उनमें आधे से अधिक पुलिस कर्मियों की नियुक्ति छह महीने पहले ही हो गई थी।

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