नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी ने नहीं दिया कैशलेस सुविधा,प्रताड़ित हुए पत्रकार
अनूप कुमार सिंह
पटना।बिहार सरकार द्वारा मीडिया कर्मियों को बिहार पत्रकार बीमा योजना सिर्फ दिखावा साबित हो रहा है।जी हां,इसका खुलासा तब हुआ जब पत्रकारों को बीमा पॉलिसी से कैशलेस सुविधा लेने की जरूरत पड़ी।गौरतलब हो कि बिहार सरकार द्वारा मीडिया कर्मियों को बीमा व मेडिक्लेम की सुविधा देने के लिए नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी से अनुबंध कराया गया है। यह अनुबंध वर्ष 2024- 25 के लिए भी किया गया है। जिसमें 676 पत्रकार शामिल हैं।लेकिन दिलचस्प बात तो यह है कि बिहार के दर्जनों
पत्रकार नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी से परेशान हैं। इंश्योरेंस सह मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत जब पत्रकार अपनी चिकित्सा कराते हैं तो मेडिक्लेम की राशि 5 लाख में से तीन लाख पचास हजार उपभोग होने पर पत्रकार को फोन से सूचित कर दिया जाता है कि आपकी मेडिक्लेम की राशि समाप्त हो गई है। ऐसी घटना विगत वर्ष 2023- 24 में लगातार देखने को मिल रहा है।
वर्तमान वित्तीय वर्ष में उससे भी चौंकाने वाली घटना देखने को मिल रही है। मानव अधिकार टाइम्स डॉट कॉम (पोर्टल) के लब्ध प्रतिष्ठित संपादक मिथिलेश कुमार पाठक ने अचानक अपनी तबियत खराब होने के कारण स्वयं की चिकित्सा के लिए 24 सितम्बर 2024 को जक्कनपुर थाना के समीप स्थित ‘राज ट्रस्ट हॉस्पिटल’ में बेहतर इलाज के लिए भर्ती हुए। मिथिलेश कुमार पाठक ने नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा दिए गए हेल्थ कार्ड को राज ट्रस्ट हॉस्पिटल को देने पर उन्होंने इलाज पर होने वाली संभावित खर्च 85 हजार रुपए का रिक्वेस्ट थर्ड पार्टी “एमडी इंडिया” को भेजा। ‘एमडी इंडिया’ के माध्यम से नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी ने 85 हजार रुपए के विरुद्ध प्रथम फेज के लिए 22,300 रुपए का एप्रूवल देकर इलाज करने की स्वीकृति की।शेष फाइनल राशि मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद थर्ड पार्टी ‘एमडी इंडिया’ के माध्यम से नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी के द्वारा स्थित ‘राज ट्रस्ट हॉस्पिटल’ को दिया जाएगा।लेकिन विडंबना यह है कि
नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी ने खेला शुरू किया। जब मिथिलेश कुमार पाठक को ‘राज ट्रस्ट हॉस्पिटल’ द्वारा 29-सितम्बर 2024 को डिस्चार्ज किया गया। और इलाज पर हुए खर्च राशि का बिल भुगतान करने के लिए ‘एमडी इंडिया’ के माध्यम से नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी को भेजा। परन्तु कम्पनी ने ‘राज ट्रस्ट हॉस्पिटल’ द्वारा भेजे गए बिल और पूर्व में हॉस्पिटल को दिए गए एप्रूवल राशि दोनों को रिजेक्ट कर दिया। हैरानी कि बात तो यह है कि
पत्रकार लगातार परेशानी में दौड़ लगा रहे हैं।लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।आखिर कैसे और कहां से पत्रकार पैसा उपाय करें ! तत्काल उतनी बड़ी राशि का भुगतान ‘राज ट्रस्ट हॉस्पिटल’ को कैसे किया होगा।
अब प्रश्न उठता है कि जब ‘एमडी इंडिया’ के माध्यम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा अप्रूवल देने के बाद पत्रकार की चिकत्सा के उपरांत बिल देने पर बिल व अप्रूवल नहीं करना! धोखाधड़ी व मेंटल परेशानी और बेवजह आर्थिक कर्ज में डालने का दोषी साबित होता है।बहरहाल
बिहार सरकार को चाहिए कि नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी को ब्लैक लिस्टेड कर अन्य पत्रकारों को इस तरह के टॉर्चर होने से बचाएं।