ईद को लेकर दूसरे प्रदेशों से वापस घर लौट रहे प्रवासी
राहुल/मृणाल
फारबिसगंज
मुस्लिम समुदाय का रहमत और बरकत का महीना माहे रमजान चल रहा है।माहे रमजान के बाद मुस्लिमों का सबसे पवित्र पर्व ईद है।ईद खुशियों और इबादत का पर्व है।फलस्वरूप रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेश गये कामगार मजदूर ईद को लेकर घर वापस लौटने लगे हैं।अपने परिवार के सदस्यों के साथ ईद पर्व मनाने के लिए बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों से आने वाले ट्रेनों से कामगार स्टेशन पर पहुंच रहे हैं।बाहर से आने वाले कामगारों को लेने के लिए बड़ी संख्या में उनके परिजनों को स्टेशन पर इंतजार करते भी देखा जा सकता है।ट्रेन से उतरने के बाद कामगार सहित परिजनों के चेहरे भी खुशी से झूमते देखा गया।
आनंदविहार दिल्ली से फारबिसगंज पहुँचे नरपतगंज स्वालदह मझुआ के मो.आजम ने बताया कि वह दिल्ली में ठेला, रिक्शा चलाने के साथ फुटपाथ पर कपड़ा बेचने का काम करता है और ईद अपने परिवार के साथ मनाने के लिए गांव जाने के लिए फारबिसगंज पहुंचा है और यहां से अन्य सवारी गाड़ी के माध्यम से गांव जायेंगे।दस महीना के बाद गांव जाने की बात करते हुए कहा कि ईद और परिवार से मिलने को लेकर काफी उत्साहित है और इस बार उन्होंने अपने परिवार वालों को आने की सूचना नहीं दिया है।वे सरप्राइज देते हुए अचानक पहुंचकर ईद की खुशी को दुगुना करना चाहते हैं।उन्होंने एक सवाल के जबाब में दुखी स्वर में कहा कि दूसरे प्रदेश में जाकर कमाना मजबूरी है।कौन अपने परिवार को छोड़ अकेले रहना चाहता है,लेकिन मजबूरी है और फिर परिवार के भी तो भरण-पोषण किया जाना है।अगर गांव में ही काम और पैसे मील तो कोई क्यों बाहर जायेगा।वही हरिपुर के अकरम अपने परिवार और बच्चों के साथ दिल्ली से ईद मनाने के लिए ट्रेन से उतरा और कहा कि ईद प्यार और मिलन का पर्व है और पर्व की मिठास अपनों के बीच मे ही होता है।इसलिए अपने परिवार के साथ दिल्ली से गांव जा रहे हैं ताकि बुढ़े मां-बाप और समाज के साथ मिलकर ईद की खुशियों के साथ सेवइयों का आनंद ले सके।वही पंजाब के रोपड़ में खेती के लिए दिहाड़ी मजदूर का काम करने वाले सगीर,निजाम,अलीम,मुस्तकीम भी ईद पर्व मनाने के लिए पहुंचे और कहा कि बिहार और अपने गांव की अपनी मिट्टी की खुशबू पर्व जैसे मौके पर अपनों के बीच खींच ले आती है।गांव पहुंचने पर उन्होंने खुशी व्यक्त किया।