आर्थिक संकट से जूझते नेपाल के नागरिक सामानों के लिए दौड़ रहे बिहार

राहुल कुमार ठाकुर
नेपाल सीमा : नेपाल आर्थिक संकट से जूझ रहा है और परेशान नेपाली लोग बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में सामान के लिए दौड़ रहे हैं।
कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से नेपाल की आर्थिक व्यवस्था लगातार लचर हो रही है. श्रीलंका के बाद नेपाल आर्थिक संकट की ओर उन्मुख है। नेपाल का विदेशी मुद्रा कोष 10 फिसदी से कम हो गया है।जिसके कारण वर्ल्ड बैंक ने भी नेपाल को आर्थिक मदद से साफ इनकार कर दिया। फलस्वरूप नेपाल की बिगड़ती आर्थिक सेहत को लेकर नेपाल सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों एजेंसियों को मिलने वाले फ्यूल अलाउंस में कटौती के साथ ही दूसरे मुल्क से आयातित दर्जनों सामानों के आयात पर रोक लगा दिया है। जिसमें कई जरूरतमंद सामान भी शामिल है। विदेशी मुद्रा संकट और वैश्विक स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादों की आसमान छूती कीमतों के बीच नेपाल में पेट्रोलियम पदार्थ के साथ अन्य सामानों की कीमतों में भी लगातार उछाल जारी है।
13 अप्रैल को नेपाल कैबिनेट की बैठक में व्यापार घाटा और विदेशी मुद्रा भंडार पर बढ़ते दबाव के मद्देनजर मंत्रालय और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के इंधन भत्ते में भी 20 फिसदी की कटौती की। ताजातरीन मामले में नेपाल सरकार के उद्योग,वाणिज्य तथा आपूर्ति मंत्रालय ने 10 सामानों की सूची जारी करते हुए विदेशों से आयात पर रोक लगा दिया है। जिसमें कुरकुरे, लेज एवं इससे संबंधित उत्पाद,सभी प्रकार के तैयार शराब और शराब के निर्माण में लगने वाले कच्चे पदार्थ, सिगरेट, तंबाकू जनित उत्पाद, हीरा, मोबाइल (200 अमेरिकी डॉलर से अधिक), रंगीन टेलीविजन ,जीप, कार,वैन, एंबुलेंस,शववाहन, मोटरसाइकिल 250सीसी, खिलौना, प्लेइंग कार्ड पर रोक लगा दिया।
मामले में नेपाल सरकार के सचिव डॉ गणेश प्रसाद पांडेय ने अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी है। नेपाल में आर्थिक संकट के बीच पर्यटकों की संख्या बढ़ी है, जो सुखद कहा जा सकता है। नेपाल के पर्वत श्रृंखलाओं में केवल इस वित्तीय वर्ष अप्रैल माह में अब तक 104 टीम पहुंची है, जिसमें 658 पुरुष पर्यटक और 186 महिला पर्यटक हैं। कुल 844 पर्यटकों में से 36 लाख 75 हजार 650 अमेरिकी डॉलर और 44 करोड 64लाख 18हजार 68 नेपाली मुद्रा नेपाल सरकार को प्राप्त हुआ है।
नेपाल में बढ़ते जरूरत के सामानों की कीमतों का नेपाल के सीमावर्ती बाजार पर भी देखने को मिल रहा है।फलस्वरूप बड़ी संख्या में जरूरत के सामानों की खरीददारी के लिए नेपाली नागरिक भारतीय बाजार की ओर जा रहे हैं।जरूरत के सामानों की खरीददारी के लिए नेपाली नागरिक बॉर्डर पार कर भारतीय सीमाई बाजार पहुँच कर जरूरत के सामानों की खरीददारी कर रहे हैं।नेपाल सप्तरी जिला के विष्णुपुर गांवपालिक से आये अशोक यादव ने कहा कि नेपाल में राजनीतिक संकट शुरू से रहा है। विदेश नीति के अभाव के कारण नेपाल भारत और चीन के बीच सैंडविच बन गया,फलस्वरूप इसका सबसे ज्यादा असर आर्थिक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि आज नेपाल में जहां प्रति व्यक्ति आमदनी दर घट रहा है।वही लगातार बढ़ रही महंगाई के कारण लोगों का जीवन यापन मुश्किल हो रहा है,ऐसे में नेपाल में छा रही आर्थिक संकट के कारण भारतीय बाजार की ओर आकर सीमावर्ती क्षेत्र के नेपाली नागरिक खरीदारी को मजबूर है। वही सुनसरी जिला के अमरवाफार्म गांव के सावन राय ने कहा कि नेपाल सरकार नीतिगत फैसले लेने में काफी देर करती है। जिसके कारण न केवल नेपाल में राजनीतिक बल्कि आर्थिक संकट भी शुरू से मुंह बाये रही है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत के सामानों को बढ़ रही कीमतों पर लगाम लगा पाने में नेपाल सरकार सक्षम नहीं हो पा रही है।ऐसे में बिहार के सीमाई इलाके में आकर नेपाल की खरीददारी करना मजबूरी हो रही है।वहीं पूनम राय ने बताया कि नेपाल में बढ़ रहे कीमतों के कारण भारतीय क्षेत्र के बाजार आना मजबूरी है।उन्होंने कहा कि बॉर्डर पार कर खरीददारी कर सामानों को लेकर वापस घर जाने पर भी सामानों की कीमत सस्ता पड़ता है।वहीं पिंटू यादव ने भारतीय क्षेत्र से एंड्राइड मोबाइल की खरीददारी करने पर नेपाल का सिम पिछले कुछ दिनों से काम नहीं कर रहा,जिससे काफी परेशानी हो रही है।पहले भारतीय क्षेत्र के एंड्राइड फोन में नेपाल का सिम काम करता था,लेकिन अब इस पर रोक लगा दिया गया है।वहीं मो.शौकत,अनवेज अंसारी और हसीब खान ने बताया कि नेपाल में बढ़ती महंगाई के कारण जीवनयापन मुश्किल हो गया है।छोटे से छोटे सामानों की कीमत उछाल मार रहा है।ऐसे में नेपाली नागरिक कैसे नेपाल के बाजार से सामानों की खरीददारी करे।
बहरहाल नेपाल की लचर अर्थव्यवस्था ले कारण नेपाल त्रस्त है,वहीं जरूरत के सामानों के लिए सीमाई इलाके के लोग भारतीय बाजार की ओर उन्मुख हो गये हैं।

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