पेसा एक्ट को ईमानदारी से लागू करे झारखण्ड सरकार: आदिवासी संगठन
रांची: मोरहाबादी मैदान स्थित अभिवादन पैलेस में पांचवीं अनुसूची क्षेत्र, पेसा कानून और झारखंड पंचायती राज अधिनियम विवाद एवं समाधान’ पर एक दिवसीय विशेष परिचर्चा का आयोजन आदिवासी समन्वय समिति के द्वारा किया गया। उद्देश्य था कि पेसा नियमावली से संबंधित आदिवासी समुदाय के बीच फैले भ्रम को दूर करना।
परिचर्चा में आदिवासी महासभा के अध्यक्ष विजय कुजूर ने झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 के तहत जो नियमावली बनाई गई है उसके समर्थन में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हमें पंचायती राज विभाग द्वारा प्रस्तावित नियमावली को स्वीकार करना चाहिए क्योंकि इससे समुदाय को ताकत मिलेगी। जो विवाद हैं उन्हें भविष्य में सुधारने की योजना बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा जमीन अधिग्रहण से पूर्व निर्णय ले सकेगी तथा विभाग द्वारा निर्मित पूरी नियमावली आदिवासी हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई है इसलिए उसे स्वीकार कर लागू करवाना चाहिए। उनकी बातों का विरोध करते हुए आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के विक्टर मालतो ने कहा कि pesa कानून के 23 प्रावधानों को हूबहू लागू करना चाहिए तथा मौजूदा नियमावली में आदिवासियों के जमीन से संबंधित अधिकार को शून्य कर दिया है इसलिए ये नियमावली स्वीकार नहीं है। आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि सोशल मीडिया में जो भ्रम फैलाया जा रहा है उसके पीछे कॉरपोरेट, सत्ता, सरकारी अधिकारी और दलाल शामिल हैं। इस भ्रम को फैलाने का उद्देश्य आदिवासी इलाकों और खनिज संपदा के लूट को असंवैधानिक रूप से झारखंड निर्माण के 24 सालों के बाद भी बदस्तूर जारी रखना है। उन्होंने कहा कि मौजूदा नियमावली जमीन, संसाधन और स्वशासन के अधिकार के साथ छेड़छाड़ करती है, संविधान और संसद के कानून की अवहेलना करती है जो झारखंड के आदिवासियों के साथ धोखा है। प्रस्तावित pesa नियमावली 2024 के द्वारा पारंपरिक ग्राम सभाओं के अधिकार क्षेत्र में नौकरशाहों को घुसाकर आदिवासी समुदाय को कमजोर करने का सुनियोजित षडयंत्र है और इसके विरुद्ध पूरे झारखंड में आंदोलन होगा। वक्ताओं में केंद्रीय धूमकुड़िया के अध्यक्ष सुनील टोप्पो, पूर्व कुलपति डॉ सत्यनारायण मुंडा, भूमिज समुदाय से बैंक अधिकारी नयन गोपाल सिंह, केंद्रीय सरना समिति के फूलचंद तिर्की तथा हो समाज की नेत्री सुषमा बिरुली भी शामिल थी। इस कार्यक्रम में डब्लू मुंडा, वाल्टर कडुंलना, दिनेश मुंडा, विनोद मुंडा, रामसहाय मुंडा, दरिद्र मुंडा, काशीनाथ पाहन, बुद्धदेव मुंडा, सिकंदर मुंडा, कामेश्वर बेदिया आदि लोग शामिल थे। इसकी अध्यक्षता लक्ष्मीनारायण मुंडा तथा धन्यवाद ज्ञापन मधुबाला सांगा ने किया।
परिचर्चा का संचालन आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मीनारायण मुंडा ने किया तथा सर्वसम्मति से संकल्प पत्र जारी किया।
- PESA कानून 1996 के सभी 23 प्रावधानों को अक्षरशः लागू करवाएंगे।
- Pesa कानून 1996 के सभी 23 प्रावधानों को लागू करवाने हेतु राज्यभर के सभी आदिवासी संगठन, जनांदोलन एवं पारंपरिक संगठनों को गोलबंद किया जाएगा।
- “ग्राम सभाओं” के अधिकार क्षेत्र में उपायुक्त, जिला खनन अधिकारी एवं अन्य सरकारी अधिकारियों को “pesa नियमवली 2024” के द्वारा शक्ति प्रदान करते हुए घुसाने की कोशिश की जा रही है, उसे रद्द किया जाए।
- झारखंड सरकार के द्वारा प्रस्तावित “झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार)नियमावली 2024” को हम ख़ारिज करते हैं।
- झारखण्ड सरकार “पेसा jpra ” विवाद को समाप्त करने हेतु आदिवासी संगठनों, पारंपरिक अगुवाओं और बुद्धिजीवियों के साथ वार्ता करे।
- झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों पर नगरपालिका कानून 2011 को निरस्त किया जाए तथा नगर निगम को भंग किया जाए।
- झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 की धारा 1 उपधारा 2, 32 एवं 47 का संशोधन किया जाए।