गणादेश खासः राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ डीके तिवारी ने खींच दी लकीर, पंचायत चुनाव में अपनाया क्वीक रेस्पोंस का फंडा

कल और शाम तक नहीं अभी के अभी रिर्पोट के सिद्धांत पर किया काम
गणादेश से पहली बार राज्य निर्वाचन आयुक्त की खास बातचीत
रांचीः झाखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हो गया। काफी समय से लंबित चुनाव कराने का बीड़ा राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ डीके तिवारी ने उठाया। इसे अपनी रणनीति से बखूबी अंजाम तक पहुंचाया। पूरे राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो गई। इस पूरे प्रक्रिया में क्या रणनीति रही है इस पर राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ डीके तिवारी ने गणादेश के साथ खुलकर अपनी बात रखीं। उन्होंने कहा कि कई संसाधनों की कमी थी। इसके बाबजूद इसी संसाधन में चार चरणों के चुनाव की लंबी प्रक्रिया को भी पूरी करनी थी। इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति भी थी। एक-एक प्वाइंट पर पूरी प्लानिंग के साथ काम किया गया। दिन रात एक एक प्लाइंट पर हो रहे कामों की लगातार मॉनिटिरिंग भी की गई। जिसका नतीजा रहा कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोई परेशानी नहीं हुई। नक्सल प्रभावित ईलाकों के लिए विशेष योजना बनाई गई थी। क्वीक रेस्पांस का फंडा अपनाया गया था। डॉ तिवारी ने कहा कि कहीं से भी कोई सूचना मिलती थी पर उस पर क्वीक एक्शन लिया जाता था। जहां तक बात फाइल मूवमेंट की थी तो फाइल नहीं लटके इसके लिए सख्त हिदायत दी गई थी कि रिर्पोट कल या शाम तक नहीं अभी के अभी चाहिए। पूरी तरह से क्वीक रेस्पांस का फंडा अपनाया गया था। डॉ तिवारी ने कहा कि किसी भी काम को करने के लिए ईच्छा शक्ति का होना जरूरी है। वे कहते हैं देश और राज्य की खातिर कोई समझौता नहीं हो सकता. सुभाष चंद्र बोस को अपना आइडियल मानचे हैं। कहते हैं कि नेताजी के बोल आज भी उनका हौसला बढ़ाती हैं. आज भी उनकी बायोग्राफी का अध्ययन करते हैं. दो टूक कहते हैं कि आज हम जिस मुकाम पर हैं उसमें कहीं न कहीं हमारे आइडियल का योगदान रहा है. उत्तर प्रदेश के एक छोटे कस्बे महोबा से निकल कर मुख्य सचिव से राज्य निर्वाचन आयुक्त तक का सफर तय किया है. इसके अलावा डॉ तिवारी देश और राज्य की अर्थव्यवस्था के बारे में भी लगातार सोचते हैं। . नई आइडिया भी डेवलप करते हैं. सरकार के समाने इसे रखते हैं. कहते हैं कि अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो देश और राज्य की तरक्की होगी. इस पर वे लगातार दत्ता एंड सुंदरम की किताब इंडियन इकोनॉमी का सहारा लेते हैं. वे इस किताब का हमेशा अध्ययन करते हैं. इस किताब के विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से विचार भी करते हैं. इसके अलावा इंडियन प्लान का डोकोमेंट भी देखते हैं. कहते हैं कि हैं कि किसी भी राज्य या देश की अर्थव्यवस्था ही रीढ़ होती है. बताते चलें कि डॉ डीके तिवारी 1986 बैच के आइएएस अफसर हैं. करियर की शुरुआत मसौढ़ी (बिहार) के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के रूप में की. वे इस पद पर 1988-90 तक रहे. रांची में 1990-92 तक एडिशनल डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट रहे. फिर बिहार के किशनगंज के डीएम के पद पर योगदान दिया. इस पद पर 1992-94 तक रहे. बीपीडीए के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर 1994-99 तक रहे. फिर वे झारखंड में एक्साइज कमिश्नर व आइजी रजिस्ट्रेशन बने. इस पद पर 2001-03 तक रहे. प्रधान सचिव के रूप में मानव संसाधन विभाग झारखंड में योगदान दिया. इस पद पर 2013-14 तक रहे. प्रधान स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली के पद पर 2014-17 तक रहे. 2017 में डीके तिवारी को सीएस रैंक में प्रोन्नति मिली. उन्हें अपर मुख्य सचिव श्रम और जलसंसाधन बनाया गया. 7 जून 2018 को उन्हें राज्य का विकास आयुक्त बनाया गया. फिर झारखंड के मुख्य सचिव की जिम्मेवारी सौंपी गई. फिलहाल राज्य निर्वाचन आयुक्त की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं।

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