11 तारीख रात्रि 8:26 से 12 तारीख दिन शुक्रवार सुबह 9:17 तक मना सकते है। रक्षाबँधन:-पं राम कुमार पाठक।

भुरकुंडा – मां दुर्गा के उपासक पंडित राम कुमार पाठक ने रक्षा बंधन मनाने हेतु बताया कि रक्षाबंधन का पर्व दो बातों को ध्यान में रखकर मनाया जाता है। पहला पूर्णिमा तिथि हो दूसरा भद्र बित चुका हो इस वर्ष 11 तारीख दिन गुरुवार चतुर्दशी तिथि दिन के 9 बजकर 35 मिनट तक है उसके बाद पूर्णिमा तिथि प्रवेश कर रहा है जो 12 तारीख दिन शुक्रवार को प्रातः 7 बजकर 17 तक है भद्रा काल 11 तारीख दिन गुरुवार सुबह 9:35 से रात्रि 8:25 तक भद्रा काल है ।

भद्रा काल में रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए क्योंकि रावण की बहन भद्रा काल में राखी बांधी थी और कुछ कालांतर के बाद लंकापति रावण की मृत्यु हुई शास्त्रों का मत है कि पुण्य काल खत्म होने के बाद भी दो घंटे तक पुण्य काल का अवशेष रहता है।

जिस तरह सूर्यास्त होने के बाद भी समुद्र का जल कुछ काल तक गर्म रहता है इसलिए 12 तारीख दिन शुक्रवार पूर्णिमा तिथि शुक्रवार सुबह 7:00 बजे कर 17 मिनट तक है

पुण्य काल का अवशेष 2 घंटे तक रहेगा इसलिए पुण्य काल सुबह 9 बजकर17 मिनट तक रहेगा यही कारण है कि।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 11 तारीख गुरूवार रात्रि 8 बजकर 26 मीनट से 12 तारीख दिन शुक्रवार सुबह 9 बजकर 17 मिनट तक है ।

अगर कोई बहन इस समय रक्षाबंधन नहीं कर पाए तो वैसे परिस्थिति में अभिजीत मुहूर्त में भी रक्षाबंधन कर सकते हैं 12 तारीख दिन शुक्रवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:30 बजे से 12:35 तक है 12:35 तक है।

रक्षाबंधन का विधान

बहन भाई को राखी बांधते समय भाई का मुख पूरब की ओर होना चाहिए । एवं भाई के माथे पर तिलक लगाकर आरती दिखाकर राखी बांधे एवं मिठाई खिलाएं । अपने भाई की मंगल कामना के लिए मां दुर्गा से प्रार्थना करनी चाहिए एवं भाई को अपनी बहन के लिए रक्षा का वचन देना चाहिए ।

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