पूर्व सीएम बाबूलाल ने राज्यपाल से संवैधानिक व्यवस्था को मजाक बनने से बचाने का किया आग्रह
रांची: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आज हेमंत सरकार पर फिर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि आज राज्य में दुर्दांत अपराधी ,दलाल,बिचौलिए बेखौफ हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार असंवैधानिक कार्य कर रहे। उन्हे अब लग गया कि अब उनका जेल जाना तय है इसलिए पार्टी के विधायक सरफराज अहमद को विधानसभा से इस्तीफा दिलवाकर पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। उन्हें यह भी पता है कि उनकी पत्नी आरक्षित सीट से विधायक नही बन सकती। हाई कोर्ट ने यह निर्णय दिया है कि राज्य से बाहर की बहु झारखंड में आरक्षण की सुविधा नहीं ले सकती है।
आगे उन्होंने महाराष्ट्र हाई कोर्ट,नागपुर बेंच के उस निर्णय की ओर महामहिम राज्यपाल का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से कोई नई सरकार बनाने या मुख्यमंत्री बदलने की बात उनके समक्ष आती है तो उनका आग्रह है कि अटॉर्नी जनरल ,या बड़े न्यायविद से इस संबंध में सलाह अवश्य लें। कहा कि महामहिम राज्यपाल के हाथों में संवैधानिक व्यवस्था को बचाने की जिम्मेवारी है। महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के नागपुर बेंच के निर्णय ने खाली सीट पर उपचुनाव कराने की अवधि पर फैसला सुनाया है। झारखंड की परिस्थिति में अब विधानसभा का कार्यकाल एक साल से भी कम बचा है।ऐसे में खाली कराई गई सीट पर उपचुनाव नही कराए जा सकते।
उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में महामहिम राज्यपाल ही संवैधानिक व्यवस्था का मजाक होने से बचा सकते हैं।
राज्य में अपराधियों के बढ़ते मनोबल पर श्री मरांडी ने कहा कि अब जेल से अपराधी बड़े अखबार के संपादक को धमकी दे रहे। यह गंभीर मामला है।जेल से जिसने धमकी दी वह और कोई नही ,दुमका का योगेंद्र तिवारी है,योगेंद्र तिवारी का शिबू सोरेन से गहरा संबंध है। आज भी शिबू सोरेन की दुमका के खजुरिया स्थित विशाल कोठी के आधे भाग की जमीन का रजिस्ट्री डीड योगेंद्र तिवारी एंड कंपनी का है।
कहा ऐसे दुर्दांत अपराधियों को बाहर भेजा जाना चाहिए था,लेकिन मुख्यमंत्री से उनके गहरे संबंध हैं। वे जेल से सत्ता का संचालन करते हैं। मनमाफिक ट्रांसफर पोस्टिंग कराते हैं, रुकवाते हैं।
उन्होंने विगत दिनों बड़े पैमाने पर डीएसपी के हुए ट्रांसफर और बाद में उनके स्थगन को याद दिलाते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें ट्रांसफर की प्रक्रिया मालूम है। यदि राज्य के मुख्यमंत्री,गृह मंत्री,डीजीपी की हस्ताक्षरित संचिका के निर्णय लागू नही हों तो समझा जा सकता है कि सत्ता का संचालन कोई और कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है।मुख्यमंत्री बाहर में केवल आईवॉश करते हैं।
कहा कि कई बार उन्होंने भ्रष्टाचार से संबंधित जांच केलिए सरकार को आग्रह किया।पत्र लिखे।लेकिन मुख्यमंत्री न्यायिक जांच कराकर अधिकारियों को क्लीन चिट दे रहे। कहा कि सीएम मामलों को केवल ऐसे ही रफा दफा करना चाहते हैं।यदि हिम्मत है तो राज्य के ईमानदार पुलिस अधिकारी मुरारीलाल मीणा,अनिल पलटा जैसे अधिकारियों से जांच कराएं।उनका जो फैक्ट्स फाइंडिंग आयेगा वह सच को उजागर करेगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार में आकंठ लिप्त हैं और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण भी दे रहे।उन्हे बचाने केलिए सरकार के खजाने से करोड़ो रुपए हाई कोर्ट,सुप्रीम कोर्ट के महंगे वकीलों पर खर्च कर रहे।
उन्होंने कहा कि ईडी के सातवें समन के बाद भी उनका पूछताछ से भागना यह बताता है कि जवाब देने से डर रहे।ईडी के सवालों का उनके पास कोई जवाब नही।भले वे बोलते हैं कि उन्हें फंसाया जा रहा लेकिन आखिर उन्हें जवाब देने से कौन रोक रहा। यदि गड़बड़ी नहीं की तो सीना तान कर जाएं और सवालों का सामना करें लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे क्योंकि उन्हें पता है कि उन्होंने किस प्रकार से गड़बड़ किया है।