कैबिनेट में सीएम,मंत्री और विधायकों के वेतन में वृद्धि से माननीय हुए मालामाल झारखंडी गरीब हुए फटेहाल: नायक

रांची: कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के मुख्यमंत्री,मंत्री और विधायकों का वेतन में वृद्धि का प्रस्ताव पास किए जाने पर संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव झारखंड छत्तीसगढ़ प्रभारी विजय शंकर नायक ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा कि जिस राज्य में एनीमिया (कुपोषण)से 69 प्रतिशत बच्चे और 65 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी जैसे रोग से प्रभावित हो,पलायन, बेरोजगारी,भुखमरी चरम पर हो उस राज्य के मुख्यमंत्री,मंत्री और विधायक का वेतन बढ़ाना शर्म का विषय है। झारखंड राज्य गठन के 24 वर्ष बाद भी राज्य कुपोषण की बड़ी आपदा से घिरा हुआ है। हाल में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ सर्वेक्षण 5 के अनुसार झारखंड के अधिकतर बच्चे कुपोषण से ग्रसित हैं। एनीमिया से 69 प्रतिशत बच्चे और 65 प्रतिशत महिलाएं प्रभावित हैं । जो राज्य के माननीय एवं नौकरशाहों के लिए शर्म का विषय है और अब वैसे माननीय एवं नौकरशाहों को चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए ।
श्री नायक ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक सुरक्षा संगठन ने भी यह स्वीकारा की झारखंड में सबसे बड़ी मूल समस्या कुपोषण है। राज्य में कुपोषण की समस्या सबसे ज्यादा है। अन्य राज्यों की अपेक्षा इसमें झारखंड सबसे आगे है।शर्म का विषय है की पूर्व के पिछले विगत 2 वर्षों से आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडा एवं पौष्टिक आहार नहीं दिया जा रहा था। मगर सभी माननीय चाहे सत्ताधारी हो या विपक्ष दोनों सत्ता का मलाई आपस में मिलजुल कर बांट कर खाने का कार्य कर रहे हैं । झारखंड में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है और देश में बेरोजगारी दर के मामले में यह चौथे स्थान पर है ।झारखंड में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि आदिवासी महिलाओं और बच्चों में कुपोषण का स्तर सबसे अधिक है और गैर-आदिवासी महिलाओं की तुलना में राज्य की आदिवासी महिलाओं में एनीमिया की घटना अधिक है।झारखंड सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट झारखंड को गरीबी से उबारने के प्रयासों का भी जिक्र किया गया है। केंद्र व राज्य की समेकित योजनाओं से इन प्रयासों को कुछ सफलता भी मिली है। लेकिन अभी भी गरीबी की स्थिति में कुछ खासा सुधार नहीं हुआ है। नीति आयोग की हाल ही में जारी राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक के अनुसार राज्य में 46.16 प्रतिशत लोग गरीब हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों का प्रतिशत 50.93 प्रतिशत बताया गया है और शहरी क्षेत्रों में 15.20 प्रतिशत। यह रिपोर्ट एनएफएचएस-4 सर्वेक्षण पर आधारित है। इसके बावजूद माननीय लोग अपनी सुख सुविधाजनक विलासितापूर्ण जीवन जीने मे मशगूल है और अब कहा जा सकता है की माननीय हुए मालामाल झारखंडी गरीब हुए फटेहाल ।

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