बक्सर के इस काली मंदिर में कुत्ते भी शामिल होते हैं आरती मे !
बिहार के बक्सर जिले में एक अद्भुत मंदिर है।चरित्रवन के श्मशान घाट परिसर में स्थित इस काली मंदिर का किस्सा भी बड़ा अनोखा है। इस मंदिर में विराजमान मां काली को श्मशानवासिनी माता भी कहते हैं। कहते हैं कि मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरी करती हैं। कहते हैं कि मंदिर में मां की आरती के समय इंसान ही नहीं बल्कि इलाके के कुत्ते भी हिस्सा लेते हैं।
लोगों का कहना है कि मंदिर की आरती शुरू होते ही इलाके से सारे कुत्ते मंदिर में पहुंच जाते हैं। आरती की पहली घंटी बजते ही श्मशामवासिनी मां के मंदिर में आसपास घूमने वाले सभी ‘कुत्ते’ पहुंच जाते हैं। इंसान मंदिर की घंटियां बजाते हैं, तो कुत्ते मुंह से आवाज निकालते हैं। आरती के बाद प्रसाद खाकर सभी कुत्ते वहां से चले जाते हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि वे खुद करीब 20 सालों से ऐसे ही आरती में ‘कुत्तों’ के शामिल होते देख रहे हैं।
इस इलाके के बुजुर्ग बताते हैं कि बहुत पहले मंदिर के रूप में सिर्फ एक झोपड़ी हुआ करती थी। उसी के अंदर मां काली की पूजा होती थी। वो कहते हैं कि उस समय भी ‘कुत्ते’ यहां जमघट लगाए रहते थे। लोगों का कहना है कि माता के प्रभाव को देखते हुए उनके भक्तों ने मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर से ‘कुत्तों’ का जुड़ाव को देखते हुए इसी परिसर में श्री काल भैरवनाथ मंदिर का निर्माण कराया गया है। इस मंदिर के सामने पंचमुंड आसन है। स्थानीय लोगों मानना है कि यहां की पूजा करने से काल-विपदा टल जाती है।
मां श्मशानवासिनी काली मंदिर में हर सप्ताह रविवार और मंगलवार को विशेष पूजा होती है, जिसे शिवाबली पूजा कहा जाता है। इसमें कई तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। पूजा संपन्न होने के बाद ‘कुत्तों’ को भोग लगाया जाता है। कुछ जानकार लोगों ने बताया कि यहां का खर्च फक्कड़ बाबाओं की आमद से चलता है। श्मशान घाट में कर्मकांड कराने के बदले फक्कड़ बाबा को जो पैसे मिलते हैं, उसका आधा हिस्सा मंदिर के खाते में जाता है।