झारखंड में आपदा प्रंधन विभाग है आपदा से ग्रस्त

इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर नहीं, आपदा के समय दूसरे राज्यों पर है निर्भर
दूसरे राज्यों की तरह आपदा प्रबंधन का कैडर भी नहीं
रांची: वर्तमान परिस्थिति में सबसे बड़ा सवाल यह है कि झारखंड आपदा से कैसे निपटेगा। हर बार आपदा के समय दूसरे राज्यों का मुंह ताकना पड़ता है कभी एनडीआरफ तो कभी सेना की मदद ली जाती है। राज्य गठन के 22 साल बाद भी झारखंड में इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर नहीं बन पाया है। यूं कहें कि झारखंड का आपदा विभाग खुद आपदा से ग्रस्त है. अगर बाढ़, भूकंप और अगजनी की घटना हो तो यहां का प्रबंधन दूसरे राज्य करते हैं. इस मामले में राज्य पूरी तरह से दूसरे राज्यों में निर्भर है. खासकर बरसात के समय में राज्य एनडीआरएफ की बाट जोहने को मजबूर हो जाता है.

स्टेट डिजास्टर ऑथिरिटी का ढ़ांचा भी आकार नहीं ले पाया
झारखंड के आपदा प्रबंधन विभाग का कोई भी इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर नहीं है. स्टेट डिजास्टर ऑथिरिटी का प्रशासनिक ढांचा भी आकार नहीं ले पाया है। प्राधिकार का कोई विंग नहीं है. नियमत: प्राधिकार में आपदा विशेषज्ञ, सूचना तंत्र, प्रचार-प्रसार, प्रशिक्षण और प्रशासनिक एवं वित्तीय विंग होना चाहिये, लेकिन झारखंड में सिर्फ आपदा विभाग है. यह सिर्फ निर्देश और नीतिगत मामलों पर निर्णय लेने तक ही सीमित है.

क्या है आपदा प्रबंधन एक्ट में प्रावधान
वर्ष 2005 में आपदा प्रबंधन एक्ट पास हुआ था. इसके तहत राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर रि‍लीफ फोर्स के गठन का प्रावधान है. एक्ट के अध्याय दो में यह भी प्रावधान है कि राज्यों में स्टेट डिजास्टर ऑथिरिटी का होना जरूरी है. झारखंड में इसकी कवायद शुरू तो हुई पर यह क्रियाशील नहीं हो पाया. आपदा विभाग में एक सचिव, एक संयुक्त सचिव और कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों के भरोसे ही प्रबंधन टिका है. आपदा के समय झारखंड को सिर्फ एनडीआरएफ और पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का ही भरोसा है.
आपदा प्रबंधन का कैडर भी नहीं
झारखंड में आपदा प्रबंधन के लिये अलग से कोई कैडर नहीं है. वहीं दूसरे राज्यों में आपदा प्रबंधन के लिये कैडर है. पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, गुजरात सहित कई अन्य राज्यों में आपदा प्रबंधन का कैडर है. इन राज्यों में डिविजनल डिजास्टर ऑफिस, डिस्ट्रीक मैनेजमेंट ऑफिसर, ब्लॉक डिजास्टर मैनेजमेंट ऑफिसर और पंचायत डिजास्टर मैनेजमेंट ऑफिसर हैं. इन राज्यों में आपदा से निपटने के लिये डिजास्टर रेस्पांस बटालियन भी है.

धरी की धरी रह गयी योजना
आपदा प्रबंधन के लिये कई योजनाएं बनायी गयीं, लेकिन सभी धरी की धरी रह गईं. पहले चरण में 132 लोगों की टीम तैयार करनी थी. इसमें भूतपूर्व सैनिकों को शामिल किया जाना था. एनडीआरएफ की टीम इन्हें प्रशिक्षण देती. मत्स्य मित्रों को आपदा मित्र बनाना था. लगभग 3600 मत्स्य मित्रों को प्रशिक्षण देने की योजना बनायी गयी थी. ये सभी योजनायें धरी की धरी रह गयी.
क्या कहा था आपदा प्रबंधन मंत्री ने
आपदा विभाग के मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि आपदा से निपटने के लिए प्राधिकार बनेगा, जिसका प्रारूप तैयार किया जा रहा है. प्राधिकार के अध्यक्ष मुख्यमंत्री और उपाध्यक्ष आपदा मंत्री होंगे. इसमें एक कमेटी भी गठित की जाएगी. जिसमें गृह सचिव, वित्त सचिव, आपदा सचिव समेत कई अन्य लोग होंगे. मंत्री ने यह भी कहा कि वैसे बच्चे जो गरीब और आदिवासी परिवार से आते हैं, जो तैराकी में अच्छे हैं उनका आंकलन किया जाएगा. उसके बाद एनडीआरएफ की ओर से उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी.

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