बोचहां उप चुनाव :रमई राम का वर्चस्व टूटा, मंत्री व सांसद नहीं दिला सके अपनी जाति के वोट

नृपेन्द्र किशोर, मुजफ्फरपुर
टिकट मिलने के पहले तक*” एनडीए के घटक दल वीआईपी का झंडा ढोने वाले दिवंगत विधायक मुसाफिर पासवान के पुत्र अमर पासवान ने बोचहां विधानसभा उपचुनाव में अंततः राजद का परचम लहरा दिया. राजद के कोर वोटर यादव, मुस्लिम के अलावा भूमिहार समाज ने खुलकर साथ दिया. वहीं, एनडीए के कोर वोटर आखिर तक बिदके रहे. सहनी समाज ने मुकेश सहनी को मंत्री पद और एनडीए से अलग करने के खिलाफ वीआईपी के पक्ष में खुलकर मतदान किया. वहीं, भाजपा से लगातार उपेक्षित हो रहे भूमिहार समाज के एक बड़े वर्ग ने राजद का दामन थाम लिया. बताया गया कि ऐसा केवल भाजपा को अपनी ताकत दिखाने के लिए किया गया।

पूर्व मंत्री रमई राम के लिए बोचहां विधानसभा क्षेत्र अभेद्य किला माना जाता था. हालांकि पिछला दो चुनाव वे हार चुके हैं. एक बार बेबी कुमारी और दूसरी बार मुसाफिर पासवान से चुनाव हार चुके हैं. इससे पहले वे नौ बार यहां से विधायक निर्वाचित व पांच बार मंत्री पद सुशोभित कर चुके हैं. दो बार लगातार चुनाव हारने के कारण तेजस्वी यादव ने इस बार उन्हें टिकट देना मुनासिब नहीं समझा. वस्तुतः इस बार वे अपनी पुत्री गीता कुमारी के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन तेजस्वी ने युवा चेहरे पर विश्वास जताते हुए अमर पासवान को राजद का टिकट थमा दिया. तब राजद के टिकट से वंचित रमई राम बौखला उठे और वीआईपी में शामिल होकर पुत्री को चुनाव मैदान में उतार दिया. चुनाव में अपने जातीय वोटों के अलावा सहनी समाज का वोट पाने में सफल रहे. पूर्व मंत्री मुकेश सहनी का जादू चल गया. नतीजतन मल्लाहों ने उनके प्रत्याशी के पक्ष में एकमुश्त वोट दे दिया

भूमि सुधार व राजस्व मंत्री राम सूरत कुमार के बड़बोलेपन ने भूमिहार समाज को आक्रोशित कर दिया. समाज के नेताओं के बारे में मंत्री के अनर्गल अलाप ने भाजपा के कोर वोटरों को विरोधी बना दिया. इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को अपनी जाति का वोट दिलाने में सफल नहीं रहे. यही हालत स्थानीय सांसद अजय निषाद की रही. लंबे समय से सहनी वोटरों पर कब्जा जमाए सांसद के अनुरोध को दरकिनार करते हुए सहनी समाज ने मुकेश सहनी में आस्था जताते हुए वीआईपी प्रत्याशी गीता कुमारी को एकमुश्त वोट दे दिया. दिलचस्प रहा कि सीएम समेत अन्य मंत्रियों की बात भी एनडीए वोटरों ने नहीं सुनी. नतीजतन भाजपा को यहाँ पराजय का मुंह देखना पड़ा.

भूमिहारों व मल्लाहों की नाराजगी ने बिगाड़ा भाजपा का खेल

इस उपचुनाव के पहले तक भूमिहार व मल्लाह समाज को एनडीए का कोर वोटर माना जाता था. इस बार दोनों समाज के लोग एनडीए से बिदके रहे. मुकेश सहनी के साथ किए गए भाजपा के व्यवहार से सहनी समाज आक्रोशित रहा जिसे सांसद भी ठंडा नहीं कर सके. नतीजतन सहनी समाज ने वीआईपी प्रत्याशी के पक्ष में एकमुश्त वोट दे दिया. वहीं, अपनी लगातार हो रही उपेक्षा से आहत भूमिहार समाज के एक बड़े वर्ग ने राजद के पक्ष में मतदान कर दिया. सहनी वोट के एनडीए से खिसकने और भूमिहार समाज के राजद से जुड़ जाने से भाजपा की पराजय तय हो गई. भूमिहार समाज ने अपने बिरादरी के नेताओ के आग्रह को भी दरकिनार कर दिया. उनलोगों का कहना था कि हम शुरू से भाजपा के साथ रहे हैं, लेकिन टिकट बंटवारे से लेकर अन्य कई मुद्दे पर हमें अपमानित किया गया. जबकि राजद ने न केवल इस समाज को सम्मान दिया, बल्कि टिकट भी थमाया. आखिरकार कब तक अपने मान सम्मान की तिलांजलि देते रहेंगे. उपचुनाव के दौरान भी एक मंत्री जो भूमिहार समाज की बदौलत जीतते हैं ने समाज को अपमानित किया जिसका बदला ले लिया गया।

36 हजार से अधिक वोटों से अमर ने बेबी को किया पराजित

बोचहां विधानसभा उपचुनाव की मतगणना में राजद प्रत्याशी अमर पासवान ने भाजपा उम्मीदवार बेबी कुमारी को करारी शिकस्त दे दी. तीसरे स्थान पर वीआईपी की गीता कुमारी रहीं. अमर पासवान ने 36653वोटों से बेबी कुमारी को हराकर इस विधानसभा सीट पर अपना कब्जा जमा लिया. 25 वें राउंड की गिनती के बाद अमर पासवान को 82562, बेबी कुमारी को 45904, गीता कुमारी को 29279 वोट मिले. चौथे स्थान पर नोटा रहा जिसे 2967 वोटरों ने पसंद किया. सबसे दुर्गति कांग्रेस की हुई जिसे दो निर्दलीय उम्मीदवारों से भी कम मात्र 1336 वोट मिले.

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