प्रवासी कामगारों के कल्याण के लिए झारखण्ड सरकार के प्रयासों को मिली सराहना

रांची: संयुक्त राष्ट्र, इंटरनेशनल आर्रगनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (यूएन-आईओएम) और नीति आयोग के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को नई दिल्ली में “प्रवासन पर कोविड-19 का प्रभाव: अच्छे व्यवहारों की बेंचमार्किंग और भविष्य की तैयारी” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में झारखण्ड समेत नौ राज्यों को कोविड महामारी के दौरान और बाद में प्रवासी कामगारों के कल्याण से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, प्रवासी कामगारों के सामाजिक कल्याण के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने और आपस में बेहतर समझ विकसित करने के उद्देश्य से आमंत्रित किया गया था।

झारखण्ड ने रखा पक्ष

सम्मेलन में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा 2021 में शुरू की गयी सुरक्षित और जिम्मेदार प्रवासन पहल (एसआरएमआई) पर प्रकाश डाला गया। साथ ही मुख्यमंत्री के नेतृत्व में श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण और कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता और जिला प्रशासन द्वारा महामारी के समय प्रवासी कामगारों के लिए किए गए कार्यों को साझा किया गया। बताया गया कि सुरक्षित और जिम्मेदार प्रवासन पहल (एसआरएमआई) के तहत झारखण्ड के प्रवासी कामगारों के कल्याण और उनकी सुरक्षा के लिए नीतिगत ढांचा विकसित करने के लिए जिलों, राज्यों और गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर किया जा रहा है।

झारखण्ड के कार्यों की हुई सराहना

प्रवासी कामगारों के संकट को कम करने और उनके कल्याण के लिए झारखण्ड सरकार के प्रयासों और प्रवास को मुख्यधारा में लाने के लिए किए जा रहे निरंतर प्रयास की सभी ने सराहना की। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे डॉ मुनिराजू ने पिछले दो वर्षों में प्रवासी कामगारों के कल्याण और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए की गई स्पष्ट प्रतिबद्धता और अनुकरणीय कार्यों के लिए झारखण्ड सरकार की सराहना की। नीति आयोग के श्री शरत दास ने एसआरएमआई शुरू करने के लिए झारखण्ड सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा यह पहल अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय हो सकती है। मालूम हो कि हाल के दिनों में नीति आयोग ने एसआरएमआई के तहत झारखण्ड सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को मान्यता दी है।

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