बिहार सरकार को एक और झटका, NGT ने लगाया 4 हजार करोड़ का जुर्माना

नई दिल्ली : बिहार की नीतीश सरकार को एक के बाद बड़े झटके लग रहे हैं। पहले गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने जातिगत जनगणना पर रोक लगा दी और अब शुक्रवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने बिहार सरकार पर 4 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना ठोस और तरल कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन न होने के चलते लगाया गया है। एनजीटी की ओर से बिहार सरकार को यह जुर्माना 2 महीने के भीतर जमा करने का आदेश दिया गया है।
बिहार सरकार पर यह जुर्माना वेज्ञानिक रूप से ठोस और तरल कचरे का प्रबंधन में फेल होने पर लगाया गया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य में 11.74 लाख मीट्रिक टन और 4072 मीट्रिक टन असंसाधित शहरी कचरा था और तरल अपशिष्ट उत्पादन और उपचार में अंतर 2,193 मिलियन लीटर प्रति दिन था। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे गीले और सूखे कचरे के बीच का अंतर दूर किया जा सके।
इस मामले के सुनवाई शुक्रवार को NGT के चेयरपर्सन जस्टिस एके गोयल की पीठ के सामने थी। इस बेंच में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी के साथ-साथ विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद और ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।
सुनवाई के दौरान NGT ने पूरे मामले में राज्य सरकार को कूडे़ के निस्तारण में असफल पाया। बेंच ने उस पर भारी जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि जुर्माने की रकम का इस्तेमाल ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना, पुराने कचरे के निस्तारण, सीवेज ट्रीचमेंट प्लांट की स्थापना और मल कीचड़ और सेप्टेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना के लिए किया जाएगा।

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