देश की तीसरी रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं

रांची: भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा की विशिष्ट पढ़ाई के लिए स्थापित देश की तीसरी रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। प्रथम कुलपति तथा प्रथम कुलसचिव के हटने के बाद से इसकी स्थिति दयनीय हो गई है। गहन पठन-पाठन के लिए विश्वविद्यालय में आज नाम मात्र की पढ़ाई होती है, विद्यार्थी कैंपस की जगह शहर में घूमते नजर आते हैं। परीक्षा औपचारिक मात्र रह गई है इस दुर्दशा का कारण प्रशासनिक व्यवस्था है। अभी वर्तमान कुल सचिव कर्नल राजेश कुमार जांच के घेरे में है। पता चला है कि प्रधानमंत्री कार्यालय में उनके विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई है, पहले शिकायत उनके कुलपति पद की अर्हता को लेकर है। जबकि दूसरी शिकायत वित्तीय गड़बड़ियों तथा उनके बाद जुबानी को लेकर है। कुल सचिव पद के लिए अहर्ता नहीं होने के बावजूद उनके नाम का झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित किया जाना लोक सेवा आयोग को भी कटघरे में खड़ा करता है।
श्री तिवारी ने कहा अपनी लिंकडइन प्रोफाइल में इन्होंने अपने को 10 महीने की अवधि के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ क्रिमिनलोजी के प्राध्यापक, 2 वर्ष 1 महीना, रांची विश्वविद्यालय में पार्ट टाइम सह प्राध्यापक, नेशनल कैडेट कोर( एनसीसी) में 8 वर्ष 4 महीने सह प्राध्यापक तथा झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में 3 वर्ष 5 महीने सब प्राध्यापक दिखाया है। अब इस प्रोफाइल को उनके द्वारा डिलीट कर दिया गया है. ऐसी संभावनाएं हैं कि इसी आधार पर उन्होंने कुल सचिव के 15 वर्ष की पठन-पाठन की आवश्यक अहर्ता झारखंड लोक सेवा आयोग को देकर अनुशंसा प्राप्त की है. कर्नल राजेश कुमार को रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय में सैन्य परंपरा तथा अनुशासन के अलावे न्याय विज्ञान पढ़ने के लिए सेवा में प्रतिनियुक्ति पर लिया गया था. लेकिन वह सिर्फ अपनी नौकरी के लिए जोड़-तोड़ करते रहे, क्योंकि सेवा में करनल पद के बाद उनकी छटनी होनी थी तथा उन्हें सेवानिवृत्ति किया जाना था। अतः रांची आने के साथ ही उन्होंने राज्यपाल कार्यालय में कुल सचिव पद प्राप्त करने का आवेदन दिया। तथा तत्कालीन कुल सचिव डॉ मनोरंजन कुमार जमुआर को हटाने तथा बदनाम करने की मुहिम विद्यार्थियों के साथ मिलकर शुरू किया। उनके आवेदन के आलोक में सचिव शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा द्वारा कुलपति रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय से उनकी योग्यता संबंधी विवरण मांगी गई। विवरण के प्राप्त होने पर राज्यपाल कार्यालय ने उन्हें कुल सचिव पद के योग्य नहीं पाया। यही कारण था कि झारखंड लोक सेवा आयोग ने सन 2020 में उनके नाम के अनुशंसा आने के पश्चात भी तत्कालीन कुलपति श्री अजय कुमार सिंह ने उन्हें कुल सचिव नहीं बनाया। आयोग में आवेदन देने के समय उन्होंने सेना में अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं लिया, तथा कुल सचिव के नियमित पद पर योगदान देने से पहले अपनी प्रति नियुक्ति भी रद्द नहीं करवाई। विचित्र बात है कि दिनांक 31. 12. 2020 को सेवानिवृत्ति के दिन दो नियमित पद धारण कर रहे थे. सेना कोर ऑफ सिग्नल्स के करनल तथा झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय के कुल सचिव। यह भी ज्ञात हुआ है कि वेतन निर्धारण में उन्होंने हेरा फेरी की है।
लिंकडइन प्रोफाइल के अनुसार वे देश में उग्रवाद विरोध (काउंटर इमरजेंसी) के विशेषज्ञ है जबकि कर ऑफ सिग्नल्स के व्यक्ति की जिमवारी में यह नहीं आता है।

झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय झारखंड के गरीब बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए स्थापित किया गया था। निहित स्वार्थ के कारण विश्वविद्यालय तथा विद्यार्थियों दोनों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। साथ ही कर्नल राजेश कुमार के छल प्रपंच तथा गतिविधियों के कारण सेना की प्रतिष्ठा भी धूमिल हो रही है। श्री तिवारी ने कहा कि इसकी जांच अभिलंब होनी चाहिए और दोषी को दंडित, झारखंड में विद्यार्थियों के साथ खिलवाड़ होता आया है अब खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। सरकार और तंत्र पर से जनता का विश्वास उठता जा रहा है इस पर विद्यार्थियों के हित में राज्य के हित में करवाई ,जांच कर जरूरी है।

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