पंकज मिश्रा अभिनय, लेखन, निर्देशन व साहित्य का संगम
पटना।कलाकार केवल सिनेमा, साहित्य व मंच पर ही नहीं!बल्कि समाज के हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ते हैं!ऐसे ही बिहार के लाल लेखक, निर्देशक, अभिनेता व गीतकार पंकज कुमार मिश्रा हैं! जिन्हें पंकज मिश्रा के नाम से भी जाना जाता है!एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार हैं! इन्होंने न केवल रंगमंच, बल्कि सिनेमा, टीवी, डिजिटल प्लेटफॉर्म व साहित्य की दुनिया में भी अपनी अमिट पहचान बनाई है।
रंगमंच से अपनी यात्रा की शुरुआत करने वाले पंकज मिश्रा ने अनेक नाटकों, टेलीफिल्मों, धारावाहिकों व फिल्मों में अभिनय, लेखन एवं निर्देशन किया है। उनकी कलात्मक दृष्टि व सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। उनके द्वारा लिखे व निर्देशित नाटक “एक नई सुबह,” “आज का लीडर,” “मैं गद्दार नहीं,” “मेहनत ज़िंदाबाद” आदि न केवल लोकप्रिय हुए, बल्कि रंगमंच की दुनिया में अपनी खास पहचान भी बना चुके हैं।
आज हम उनसे उनके सफर, चुनौतियों, उपलब्धियों व भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से बातचीत करेंगे। आइए, उनके जीवन व कला की यात्रा के कुछ अनसुने पहलुओं को जानें—
कोई महत्वपूर्ण घटना जिससे बड़ी सीख मिली हो।
थिएटर से जुड़ी एक घटना मेरे लिए बड़ी सीख बनी। पहली बार जब मैंने पटना के कालिदास रंगालय में अभिनय किया, तो दर्शकों ने मेरी प्रस्तुति को बहुत सराहा। उनकी तालियों और प्रशंसा ने मुझे आत्मविश्वास दिया कि मैं अभिनय की दुनिया में कुछ कर सकता हूँ। लेकिन जब प्रेस रिपोर्टर मेरी प्रस्तुति पर टिप्पणी लेने आए, तब नाटक के निर्देशक ने कहा, “इनके बारे में कुछ मत लिखिए, ये बाहरी कलाकार हैं, मेरी संस्था के नहीं।” यह सुनकर मुझे आश्चर्य और दुख हुआ। उस समय मैंने सोचा, “क्या प्रतिभा की कोई सीमा या संस्था होती है?” इस घटना ने मुझे प्रेरित किया और अपने काम में और अधिक समर्पित बनाया।
आपके अब तक के सबसे लोकप्रिय नाटक कौन-कौन से हैं?
मेरे सबसे लोकप्रिय नाटक “एक नई सुबह,” “आज का लीडर,” “मैं गद्दार नहीं,” “मेहनत ज़िंदाबाद,” “तलाश,” और “भ्रमजाल” रहे हैं। इन नाटकों को दर्शकों से बहुत सराहना मिली। इनके अलावा, “खुशियाँ लौटा दो” और “जाल मकड़े का” भी चर्चित रहे हैं। इन नाटकों की कहानियाँ सामाजिक मुद्दों को उजागर करती हैं और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती हैं। हर नाटक ने मुझे नई पहचान और प्रेरणा प्रदान की है।
आपके लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक, शॉर्ट फिल्म, टेलीफिल्म और डॉक्यूमेंट्री कौन-कौन से हैं?
मेरे लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिकों में “संघर्ष” (लेखक, निर्देशक और अभिनेता), “कब तक सहेंगे हम” (लेखक), “माई” (लेखक और निर्देशक), “घर अंगना” (लेखक), “वाह रे हम” (लेखक और निर्देशक), “बेरंग सपने” (कहानी, पटकथा और संवाद), और “परमेश्वर का प्रबंध” (अभिनेता) शामिल हैं। इसके अलावा, “कहानी किस्मत की” और “पिया बिना घर सुन” (लेखक) भी लोकप्रिय हुए। मेरी शॉर्ट फिल्मों में “द एंड,” “यहाँ कौन है मेरा,” और “फाइनल डिसीजन” (लेखक और निर्देशक) प्रमुख हैं, जबकि डॉक्यूमेंट्री फिल्मों में “एक सफल कोशिश,” “दो कदम आगे,” और “खिलते फूल” विशेष रूप से सराही गईं।
आपकी फिल्मी यात्रा कैसी रही
मेरी फिल्मी यात्रा रोमांचक और सीखने से भरपूर रही है। शुरुआत में मैंने नाटकों के माध्यम से अपनी पहचान बनाई और फिर फिल्मों में कदम रखा। बतौर लेखक, निर्देशक और अभिनेता, मैंने कई फिल्मों, टेलीफिल्मों और वेब सीरीज में काम किया। “तुम तो ठहरे परदेसी,” “तोह संग प्रीत निभाइब,” और “करमुआ के लिखल केहु ना मिटाई” जैसी फिल्मों में मेरे लेखन को सराहा गया। इसके अलावा, “बलमा बेदर्दी” में सहायक निर्देशक और “प्यार में तोहरे उड़े चुनरिया” में अभिनेता के रूप में मेरा योगदान रहा। डिजिटल प्लेटफॉर्म और वेब सीरीज में भी मेरी सक्रिय भागीदारी रही है, और मैं लगातार नए प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा हूँ।
फिलहाल आपका लिखा कौन सा गीत लोकप्रिय हो रहा है?
फिलहाल, राम जन्मभूमि पर आधारित मेरा लिखा गीत “मोदी ने ऐसा काम किया” काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है। इस गीत को आर्यन बाबू ने अपनी मधुर आवाज़ में गाया है। इसके बोल “वक्त की पुकार है, चारों तरफ जयकार है, जिसका था इंतजार हमें, हुआ सपना आज साकार है, बोलो राम राम, जय सिया राम” श्रोताओं के दिल को छू रहे हैं। यह गीत भक्तिभाव से भरपूर है और संगीत प्रेमियों के बीच खासा लोकप्रिय हो रहा है।
इन क्षेत्रों में आने वाले नए लोगों के लिए आपका क्या संदेश होगा?
असफलताओं से कभी न घबराएँ; उन्हें सीखने का अवसर समझें और अपनी प्रतिभा को निखारते रहें। अपने काम के प्रति ईमानदारी बनाए रखें और स्वयं पर विश्वास करें। यदि आपकी कला में सच्चाई और जुनून है, तो एक दिन आपको निश्चित रूप से पहचान मिलेगी।

