राजद के कार्यकर्ताओं व गुंडों ने मुसहर और भुईंयाँ समाज के पर्चे वाली जमीनों पर जो कब्जा किया है:जीतन राम मांझी

पटना।केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने राजद द्वारा पटना में भुईंयाँ मुसहर सम्मेलन के आयोजन व इसमें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा डाले गए चुनावी चारे पर तंज कसा है। श्री मांझी ने तेजस्वी यादव से सीधा सवाल किया है कि क्या वे राजद का अध्यक्ष किसी मुसहर जाति से आने वाले नेता को बना देंगे? श्री मांझी ने नेता प्रतिपक्ष से जानना चाहा है कि क्या वे ये घोषणा करेंगे? कि राजद के कार्यकर्ताओं व गुंडों ने मुसहर और भुईंयाँ समाज के पर्चे वाली जमीनों पर जो कब्जा किया है उसे मुक्त करा देंगे? उन्होंने ये भी पूछा है कि क्या राजद के नेता ये प्रण लेंगे कि भविष्य में उनका कोई भी कार्यकर्ता दलित व अल्पसंख्यकों पर अत्याचार नहीं करेगा? गौरतलब हो कि
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने राजद के भुईंयाँ मुसहर सम्मेलन को बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले सियासी जाल बताते हुए कहा कि तेजस्वी यादव झूठे वादे व सहानुभूति दिखाकर दलित समाज के सामने चारा डाल रहे हैं। तेजस्वी यादव चाहते हैं कि किसी भी तरह मुसहर व भुईंयाँ जाति के लोग उनके झांसे में आ जाएं! वे इनका वोट चुनाव में हासिल कर लें। लेकिन तेजस्वी यादव शायद ये भूल गए हैं कि बिहार में अब जंगलराज का पुराना दौर नहीं है!जब दलितों की डरा धमका कर उनका वोट छीन लिया जाता था। श्री मांझी ने कहा कि आज बिहार के मुसहर और भुईंयाँ समाज ने विकास का स्वाद चख लिया है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के अन्दर एनडीए की सरकार ने दलितों के लिए जो काम किया है वो भुलाया नहीं जा सकता।
जीतन राम मांझी ने कहा कि तेजस्वी यादव चाहे लाख प्रयास कर लें मुसहर और भुईंयाँ जाति के लोग राजद शासनकाल के उस दौर को नहीं भूले हैं! जब उनका उत्पीड़न होता था और कोई सुनने वाला नहीं था। आज बिहार का दलित समाज राजनीतिक तौर पर भी सशक्त हो चुका है। शासन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है। तेजस्वी यादव को ये समझ लेना चाहिए कि मुसहर और भुईंयाँ जाति के लोग उनके पिता श्री लालू प्रसाद यादव जी के बंधुआ मजदूर नहीं हैं। जहां विकास दिखेगा।जहां शासन में भागीदारी मिलेगी वहीं ये खड़ा रहेगा। बिहार में एनडीए की सरकार ने दलित समाज के सपने को गढ़ने और विकास पथ पर आगे बढ़ाने का काम किया है इसलिए सियासी जाल फेंककर तेजस्वी की चाल चलें, उसमें कोई फंसने वाला नहीं है।

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