48 घंटे तक अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जान खतरे में
धनबाद: झारखंड में लगातार दो दिनों तक बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। मतलब धनबाद कोयलांचल के अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जान अगले 48 घंटे तक सांसत में रहेगी। कब किसका घर गिर जाए, कब कोई गोफ में समा जाए, कब कहां धसान हो जाए, यह कहना मुश्किल है। वैसे, बीसीसीएल के लिए जुलाई महीना खुशियां देकर बीता है। बीसीसीएल की स्थापना के बाद से पहली बार सर्वोत्तम प्रदर्शन के आंकड़े दर्ज हुए है। जुलाई महीने में बीसीसीएल ने 3.37 मि लियन टन कोयले का उत्पादन तथा 3.39 मिलियन टन कोयले का डिस्पैच किया है। 13.56 मिलियन घन मीटर ओवरबर्डन भी हटाया गया है। अभी हाल ही में गांधी चबूतरा के पास फटे एक दरार में समा कर परमेश्वर चौहान की मौत हो गई थी। NDRF की टीम ने लाश का सिर्फ और सिर्फ अवशेष ही निकाल पाई।
कई इलाकों को है गंभीर खतरा
इधर, कई ऐसे इलाके हैं, जो धसान की चपेट में है। लोदना चार नंबर बस्ती, बागड़िगी बस्ती की गिनती भी इसी तरह से हो रही है। जानकारी के अनुसार इस इलाके को विस्थापित करने के लिए केवल बैठक हो रही है। कोई परिणाम सामने नहीं आ रहे। लोदना चार नंबर बस्ती और बागडिगी बस्ती के लोग करीब तीन दशक से रह रहे है। रहने वाले लोगों का सर्वे भी हुआ और लोग जान पर खतरा मानकर यहां से जाना भी चाहते है। लेकिन कहते हैं कि बेलगड़िया में जाकर वह क्या करेंगे। यहां के लोगों का कहना है कि कुसुम बिहार में कंपनी के सैकड़ों आवास खाली पड़े हुए है। कुसुम विहार फेज वन में करीब 600 परिवार को एक साथ बसाया जा सकता है, लेकिन प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है, उन लोगों का यह भी कहना है कि कुसुम विहार के पास बसने से रोजगार मिल जाएगा, क्योंकि यह शहर के करीब है। फिलहाल जहा लोग रह रहे हैं, बस्ती को जाने वाली सड़क पर चलना भी जान जोखिम में डालने के बराबर है। झरिया पुनर्वास एवं बीसीसीएल से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि मास्टर प्लान के काम को रोका नहीं गया है।
अधिकारी कहते लोग जाना नहीं चाहते, लोग कहते भेजा नहीं जा रहा
अधिकारी रहने वाले लोगों का ही दोष मानते हैं कि वह जाना नहीं चाहते। बारिश के कारण भूमिगत आग से ज्यादा खतरनाक हो चुके क्षेत्र लोग ज्यादा डरे हुए है। कोयलांचल में कुल आग प्रभावित 595 साइट में 81 अति खतरनाक श्रेणी में चिन्हित किए गए है। सर्वे के अनुसार यहां लगभग 14 हजार की आबादी है, वैसे सर्वे से इतर भी लोग रह रहे है। दावे के मुताबिक 595 आग प्रभावित क्षेत्रों में 40 इलाकों से भूमिगत आग खत्म हो गई है। बाकी बचे 555 क्षेत्र अभी भी खतरनाक बने हुए है। इनमें 348 इलाके ऐसे हैं, जहां कोयला खनन जारी है या आगे भी होना है, वहीं 207 इलाके आबादी बहुल है। सबसे ज्यादा भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्र इन्हीं 207 इलाकों में है।