21 दिसम्बर बुधवार का राशिफल एवम पंचांग
मेष: व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। सामाजिक कार्य करने में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। कार्यसिद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। बेवजह बेचैनी रह सकती है लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे बेचैनी हो। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
वृष: यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य प्रभावित होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों का सहयोग समय पर प्राप्त होगा। रुके कार्यों में गति आएगी। प्रसन्नता रहेगी। जोखिम न उठाएं। आनन्द से दिनचर्या व्यतीत करें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
मिथुन: आय होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। जल्दबाजी किसी समस्या का हल नहीं है इसलिए न करें। दूर से कोई समाचार मिल सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें ताकि बेवजह कहासुनी न हो। थकान व कमजोरी रह सकती है आराम करे़ं। स्वास्थ्य पर खर्च होगा। नौकरी में दिनचर्या व्यस्त रह सकती है । आध्यात्मिक ज्ञान की तरफ रूची बनेगी। स्वास्थ्य लाभ होगा।
कर्क: कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। थकान व कमजोरी रह सकती है। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश में जल्दबाजी न करें। नौकरी में शांति रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों का सहयोग रहेगा। कार्य समय पर पूर्ण होंगे। स्वास्थ्य सही रहेगा।
सिंह: व्यवसाय ठीक चलेगा। धन लाभ के योग है । पुराना रोग उभर सकता है। दूर से कोई समाचार मिल सकता है। व्यर्थ की भागदौड़ से बचें । किसी व्यक्ति के व्यवहार से अप्रसन्नता मत आने दें। अपेक्षित कार्य विलंब से होंगे। प्रयास अधिक करना पड़ सकता है। किसी व्यक्ति विशेष की नाराजगी न करें। मनोरंजन के योग हैं।
कन्या: नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। आय में वृद्धि होगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेगे। जल्दबाजी से बचें खासकर लेन-देन में जल्दबाजी न करें। कोई समस्या खड़ी हो सकती है। भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। प्रमाद न करें। स्वास्थ्य लाभ होगा ।
तुला: बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। धनहानि से बचें व सावधानी रखें। किसी व्यक्ति के व्यवहार से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। शत्रु शांत रहेंगे। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।
वृश्चिक: अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग करने से बचें। परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। पुराना रोग उभर सकता है। लेन-देन में सावधानी रखें। किसी भी व्यक्ति की चिकनी बातों में न आएं। महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें, लाभ होगा।
धनु: व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश मनोनुकूल लाभ देगा। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे लेकिन हानी नहीं पहुंचा पाएंगे। शारीरिक कष्ट से बचें । दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप कम ही करें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है।
मकर: धन प्राप्ति सुगम तरीके से होगी। नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं होगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक कार्य करने में रुझान रहेगा। मान-सम्मान मिलेगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से मनोनुकूल लाभ होगा। कष्ट, तनाव व चिंता का वातावरण बन सकता है। शत्रु पस्त होंगे।
कुंभ: पूजा-पाठ में मन लगेगा। किसी साधु-संत का आशीवार्द मिल सकता है। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेंगे। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। लंबित कार्य पूर्ण होंगे। प्रमाद न करें।
मीन: आज आपका समय मिला जुला रहेगा । घर में अतिथियों का आगमन होगा और धन व्यय भी होगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में संतोष रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। विवाद से क्लेश से बचें । पुराना रोग उभर सकता है। परिवार की चिंता रहेगी। जल्दबाजी न करें।
🌞 ll~ वैदिक पंचांग ~ll🌞
🌤️ दिनांक – 21 दिसम्बर 2022
🌤️ दिन – बुधवार
🌤️ विक्रम संवत – 2079
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – शिशिर ॠतु
🌤️ मास – पौष
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – त्रयोदशी रात्रि 10:16 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
🌤️ नक्षत्र – विशाखा सुबह 08:33 तक तत्पश्चात अनुराधा
🌤️ योग -धृति रात्रि 09:26 तक तत्पश्चात शूल
🌤️ राहुकाल – दोपहर 12:37 से दोपहर 01:58 तक
🌞 सूर्योदय- 06:12
🌦️ सूर्यास्त – 05:06
👉 दिशाशूल – उत्तर दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण- प्रदोष व्रत मासिक शिवरात्रि,शिशिर ॠतु प्रारंभ
🔥 विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 शीत (हेमन्त तथा शिशिर) ऋतुचर्या 🌷
➡ 21 दिसम्बर 2022 बुधवार से शिशिर ऋतु प्रारंभ ।
🔹 शीत ऋतु के अंतर्गत हेमंत और शिशिर ऋतुएँ आती हैं। इस काल में चन्द्रमा की शक्ति विशेष प्रभावशाली होती है। इसलिए इस ऋतु में औषधियों, वृक्ष, पृथ्वी व जल में मधुरता, स्निग्धता व पौष्टिकता की वृद्धि होती है, जिससे प्राणिमात्र पुष्ट व बलवान होते हैं। इन दिनों शरीर में कफ का संचय व पित्त का शमन होता है।
🔹 शीत ऋतु में स्वाभाविक रूप से जठराग्नि तीव्र होने से पाचनशक्ति प्रबल रहती है। इस समय लिया गया पौष्टिक और बलवर्धक आहार वर्ष भर शरीर को तेज, बल और पुष्टि प्रदान करता है।
🍝 आहारः शीत ऋतु में खारा तथा मधुर रसप्रधान आहार लेना चाहिए।
👉🏻 पचने में भारी, पौष्टिकता से भरपूर, गरम व स्निग्ध प्रकृति के, घी से बने पदार्थों का यथायोग्य सेवन करना चाहिए।
👉🏻 मौसमी फल व शाक, दूध, रबड़ी, घी, मक्खन, मट्ठा, शहद, उड़द, खजूर, तिल, नारियल, मेथी, पीपर, सूखा मेवा तथा अन्य पौष्टिक पदार्थ इस ऋतु में सेवन योग्य माने जाते हैं। रात को भिगोये हुए चने (खूब चबा-चबाकर खायें), मूँगफली, गुड़, गाजर, केला, शकरकंद, सिंघाड़ा, आँवला आदि कण खर्च में खाये जाने वाले पौष्टिक पदार्थ हैं।
👉🏻 इस ऋतु में बर्फ अथवा बर्फ का या फ्रिज का पानी, रूखे-सूखे, कसैले, तीखे तथा कड़वे रसप्रधान द्रव्यों, वातकारक और बासी पदार्थों का सेवन न करें। शीत प्रकृति के पदार्थों का अति सेवन न करें। हलका व कम भोजन भी निषिद्ध है।
👉🏻 इन दिनों में खटाई का अधिक प्रयोग न करें, जिससे कफ का प्रकोप न हो और खाँसी, श्वास (दमा), नजला, जुकाम आदि व्याधियाँ न हों। ताजा दही, छाछ, नींबू आदि का सेवन कर सकते हैं। भूख को मारना या समय पर भोजन न करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। शीतकाल में जठराग्नि के प्रबल होने पर उसके बल के अनुसार पौष्टिक और भारी आहाररूपी ईंधन नहीं मिलने पर यह बढ़ी हुई अग्नि शरीर की धातुओं को जलाने लगती है जिससे वात कुपित होने लगता है। अतः इस ऋतु में उपवास भी अधिक नहीं करना चाहिए।
🚶🏻♂ विहार
➡ शरीर को ठंडी हवा के सम्पर्क में अधिक देर तक न आने दें।
➡ प्रतिदिन प्रातःकाल दौड़ लगाना, शुद्ध वायु सेवन हेतु भ्रमण, शरीर की तेलमालिश, व्यायाम, कसरत व योगासन करने चाहिए।
➡ जिनकी तासीर ठंडी हो, वे इस ऋतु में गुनगुने गर्म जल से स्नान करें। अधिक गर्म जल का प्रयोग न करें। हाथ-पैर धोने में भी यदि गुनगुने पानी किया जाय तो हितकर होगा।
➡ शरीर की चंपी करवाना एवं यदि कुश्ती अथवा अन्य कसरतें आती हों तो उन्हें करना हितावह है।
➡ तेलमालिश के बाद शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करना हितकारी है।
➡ कमरे एवं शरीर को थोड़ा गर्म रखें। सूती, मोटे तथा ऊनी वस्त्र इस मौसम में लाभकारी होते हैं। प्रातःकाल सूर्य की किरणों का सेवन करें। पैर ठंडे न हों, इस हेतु जुराबें अथवा जूतें पहनें। बिस्तर, कुर्सी अथवा बैठने के स्थान पर कम्बल, चटाई, प्लास्टिक अथवा टाट की बोरी बिछाकर ही बैठें। सूती कपड़े पर न बैठें।
➡ इन दिनों स्कूटर जैसे दुपहिया खुले वाहनों द्वारा लम्बा सफर न करते हुए बस, रेल, कार जैसे वाहनों से ही सफर करने का प्रयास करें।
➡ दशमूलारिष्ट, लोहासव, अश्वगंधारिष्ट, च्यवनप्राश अथवा अश्वगंधावलेह अथवा अश्वगंधाचूर्ण जैसे देशी व आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करने से वर्ष भर के लिए पर्याप्त शक्ति का संचय किया जा सकता है।
➡ *हेमंत ऋतु में बड़ी हरड़ के चूर्ण में आधा भाग सोंठ का चूर्ण मिलाकर तथा शिशिर ऋतु में अष्टमांश (आठवां भाग) पीपर मिलाकर 2 से 3 ग्राम मिश्रण प्रातः लेना लाभदायी है। यह उत्तम रसायन है।