गणादेश खासः झारखंड के आइएएस के बड़े-बड़े कारनामे, पर सरकार का एक्शन जीरो,पांच साल तक चली विभागीय कार्रवाई, पर मिली निंदन की सजा

एक आइएएस थे बर्खास्तगी के कगार पर, लेकिन दे दिया योगदान
रांचीः झारखंड कैडर की निलंबित आइएएस पूजा सिंघल के अलावा झारखंड कैडर में कार्यरत 15 आइएएस अफसर ऐसे हैं जो बड़े से बड़ा कारनामा कर चुके हैं, लेकिन सरकार किसी भी रही, एक्शन जीरो ही रहा। बदले में क्रीम पोस्ट भी मिला। पथ निर्माण सचिव सुनील कुमार पर एनटीपीसी के जीएम से मारपीट करने सहित कई आरोप लगे। पूर्व खान सचिव श्री निवासन पर भी आरोप है। बड़े कारनामे करने वाले अफसरों में अधिकांश यंग आइएएस ही हैं।
सिर्फ निंदन की ही सजा
एक आइएएस के खिलाफ पांच साल तक विभागीय कार्रवाई चली, लेकिन सजा सिर्फ निंदन की मिली। हम बात कर रहे हैं झारखंड कैडर के 2008 बैच के आइएएस अरवा राजकमल की। तत्कालीन बोकारो डीसी अरवा राजकमल ने 8 फरवरी 2013 से 14 दिनों के लिए ईएल के लिए अप्लाई किया था. 7 फरवरी 2013 को उन्होंने बिना किसी सक्ष्म प्राधिकार को बताए मुख्यालय छोड़ दिया. इसके बाद फिर 14 दिनों की छुट्टी के लिए अप्लाई किया. फिर तीन साल की छुट्टी के लिए ईओएल अप्लाई किया. अरवा राजकमल के मामले में अपर मुख्य सचिव रैंक के अफसर इंदू शेखर चतुर्वेदी ने जांच की. विभागीय कार्यवाही के दौरान आईएएस अफसर इंदू शेखर चतुर्वेदी ने आरोप को सही पाया. इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुंशसा की गई. लेकिन राज्य सरकार ने आईएएस अफसर अरवा राजकमल को सिर्फ निंदन की सजा देने की अनुशंसा भारत सरकार से की।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में आइएएस राजीव रंजन के खिलाफ जांच का दिया था आदेश
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने झारखंड के स्वास्थ्य सचिव को पत्र भेजकर तत्कालीन झारखंड स्टेट ऐड्स कंट्रोल सोसायटी में प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजीव रंजन के द्वारा की गई गड़बड़ियों की जांच करने के आदेश दिया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से डॉ शोभिनी रंजन ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीर बताते हुए इसकी जांच कर सूचना देने का भी निर्देश दिया था। लेकिन मामला ठंढ़े बस्ते में चला गया।
वाघमारे प्रसाद कृष्णा के खिलाफ भारत सरकार को डीम्ड रेजिगनेशन के लिए भेजा प्रस्ताव
2011 बैच के आईएएस वाघमारे कृष्णा प्रसाद भी बर्खास्त के रडार पर आ गए थे। इनके खिलाफ राज्य सरकार ने भारत सरकार को डीम्ड रेजिगनेशन का प्रस्ताव भेज दिया था। वाघमारे प्रसाद कृष्णा भी लगभग तीन साल से अधिक समय से बिना सूचना के गायब थे। साथ ही विभागीय कार्यवाही में दोषी भी पाए गए थे। विभागीय कार्यवाही के संचालन पदाधिकारी सह तात्कालीन अपर मुख्य सचिव इंदु शेखर चतुर्वेदी ने जांच रिपोर्ट कार्मिक विभाग को सौंपी थी. लेकिन बाद में बाघमारे कृष्णा प्रसाद ने योगदान दे दिया।
पहली महिला आइएएस ज्योत्सना वर्मा बर्खास्त हुई
राज्य की पहली महिला आईएएस अफसर ज्योत्सना वर्मा रे बर्खास्त की किया गया। 1992 बैच की अफसर प्रतिनियुक्ति पर वर्ल्ड बैंक मनीला तो गईं, लेकिन वापस अपने कैडर में नहीं लौटीं। रिमांडर पर रिमांडर दिया गया लेकिन वापस नहीं आईं। प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के बाद भी वह वहीं बनी रहीं. रिमांडर का भी जवाब नहीं मिला. इसके बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त मान लिया गया।
आइएएस छवि रंजन के खिलाफ जांच
रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन आपराधिक मामले में चार्जशीटेड हैं. एसीबी ने इस अधिकारी के खिलाफ 26 अक्टूबर 2016 को अदालत में चार्जशीट दाखिल किया था. इन पर आरोप है कि कोडरमा डीसी ( के पद पर रहते हुए इस अधिकारी ने सरकारी पेड़ की चोरी की थी.
घोलप रमेश भी हुए निलंबित
रघुवर सरकार में सरायकेला-खरसांवा में डीसी रहते हुए घोलप रमेश को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था। इन पर मॉबलिंचिंग की घटना को सही तरीके से टैकल नहीं करने का आरोप लगा। लेकिन एक सप्ताह के अंदर इनका निलंबन वापस ले लिया गया।
जमीन घोटाला में स्पष्टीकरण
अपर मुख्य सचिव रैंक के अफसर अरूण कुमार सिंह पर देवघर जमीन घोटाला मामले में स्पष्टीकरण भी पूछा गया। वर्तमान में अरूण कुमार सिंह विकास आयुक्त और स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव भी हैं। लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है।

के के खंडेलवाल पर भी जांच की आंच
अपर मुख्य सचिव रैंक के अफसर केके खंडेलवाल के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो बिहार, पटना में निगरानी जांच संख्या एएस 01/99 के तहत विभिन्न आरोपों में लंबित होने की सूचना है. इस संदर्भ में अद्यतन स्थिति प्राप्त करने के लिए ब्यूरो द्वारा पुलिस अधीक्षक निगरानी ने अन्वेषण ब्यूरो पटना से 13 बार पत्राचार किया है, लेकिन अद्यतन स्थिति अप्राप्त है. वे 30 जुलाई को रिटायर भी हो गए।
आइएएस मनोज कुमार भी जांच के दायरे में
आइएएस मनोज कुमार जब नगर निगम में जब मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर थे, उस समय इनके विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो झारखंड रांची में पीइ संख्या 17/15 अंकित थी. श्री कुमार के विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई के लिए उनके प्रशासी विभाग के प्रधान सचिव को ब्यूरो द्वारा चार मई 2017 को ही लिखा गया था।

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