भगवान सूर्य के 21 नाम, जिन्हे जपने से मिलता है अद्भुत लाभ

भगवान सूर्य की उत्पति ही संसार के कल्याण के लिए हुआ है, इसलिए पंचदेवोपासना में उनका विशिष्ट स्थान है। शास्त्र कहते हैं कि ‘आरोग्यं भास्करादिच्छेत्’ अर्थात् आरोग्य की कामना भगवान सूर्य से करनी चाहिए। सूर्य की उपासना से मनुष्य का तेज, बल, आयु एवं नेत्रों की ज्योति की वृद्धि होती है और मनुष्य दीर्घायु होता है। सूर्य समस्त नेत्र-रोग व चर्म-रोग को दूर करने वाले देवता हैं। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने अपने कुष्ठ रोग को सूर्य की उपासना से ही दूर किया था।
भगवान श्रीकृष्ण और जाम्बवती के पुत्र साम्ब बलवान होने के साथ ही अत्यन्त रूपवान भी थे। अपनी सुन्दरता का अभिमान ही उनके पतन का कारण बना। एक बार रुद्रावतार दुर्वासा मुनि द्वारकापुरी में आए। तप से अत्यन्त क्षीण हुए दुर्वासा को देखकर साम्ब ने उनका उपहास किया।इससे क्रोध में आकर दुर्वासा मुनि ने साम्ब को शाप दे दिया कि तुम कोढ़ी हो जाओ। रोग दूर करने के लिए अनेक उपचार किए पर कोई लाभ नहीं हुआ।
कुष्ठरोग से मुक्ति के लिए साम्ब ने की सूर्योपासना
तब भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा से साम्ब चन्द्रभागा नदी के तट पर सूर्य की आराधना में लग गए। रोग से मुक्ति के लिए साम्ब नित्य भगवान सूर्य के सहस्त्रनाम का पाठ करते थे। एक दिन भगवान सूर्य ने साम्ब को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा-तुम्हें सहस्त्रनाम से मेरी स्तुति करने की आवश्यकता नहीं है। मैं तुम्हें अपने अत्यन्त प्रिय एवं पवित्र 21 नाम बताता हूं, उनके पाठ से सहस्त्रनाम के पाठ का फल प्राप्त होगा। जो मनुष्य इस स्तोत्र का पाठ करेंगे, वे समस्त पापों से छूटकर धन, आरोग्य, संतान आदि वांछित फल प्राप्त करेंगे और समस्त रोगों से मुक्त हो जाएंगे। इस प्रकार भगवान सूर्य के आदेश से साम्ब 21 नामों का पाठ करने लगे। उनकी भक्ति और तप से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने उनका रोग दूर कर दिव्य रूप प्रदान किया।
सूर्य के 21 नामों (स्तवराज) के पाठ का फल-
यह स्तवराज शरीर को नीरोग बनाने वाला, धन की वृद्धि करने वाला और यश देने वाला है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इन नामों को पढ़ने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान सूर्य को यह नाम इतने प्रिय हैं कि उनका कथन है-
यही मेरे लिए जपने योग्य, हवन व सन्ध्योपासना है। बलिमंत्र (भोग का मंत्र), अर्घ्यमंत्र व धूपमंत्र भी यही है। नमस्कार, प्रदक्षिणा सभी में यह महामंत्र जपने से पापों का हरण व शुभफल की प्राप्ति होती है।
भगवान सूर्य के जप में रखें इन बातों का ध्यान
भगवान सूर्य की आराधना करने वाले मनुष्य को राग-द्वेष, झूठ और हिंसा से दूर रहना चाहिए। कलुषित हृदय से कोई भगवान सूर्य को अपना सब-कुछ अर्पित कर दे तो भी भगवान आदित्य उस पर प्रसन्न नहीं होते, लेकिन शुद्ध हृदय से मात्र जल अर्पण करने पर सूर्यपूजा के दुर्लभ फल की प्राप्ति हो जाती है।
भगवान सूर्य ने श्रीकृष्ण पुत्र साम्ब को अपने 21 नाम बताए, जो ‘स्तवराज’ के नाम से भी जाने जाते हैं।
ॐ विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रवि:।
लोकप्रकाशक: श्रीमान् लोकचक्षुर्महेश्वर:।।
लोकसाक्षी त्रिलोकेश: कर्ता हर्ता तमिस्त्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचि: सप्ताश्ववाहन:।।
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृत:।। (भविष्यपुराण)
भगवान सूर्य के 21 नाम
🔅विकर्तन
🔅विवस्वान्
🔅मार्तण्ड
🔅भास्कर
🔅रवि
🔅लोकप्रकाशक
🔅श्रीमान्
🔅लोकचक्षु
🔅ग्रहेश्वर
🔅लोकसाक्षी
🔅त्रिलोकेश
🔅कर्ता
🔅हर्ता
🔅तमिस्त्रहा
🔅तपन
🔅तापन
🔅शुचि
🔅सप्ताश्ववाहन
🔅गभस्तिहस्त
🔅ब्रह्मा
🔅सर्वदेवनमस्कृत।

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