जीरो कंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी से हार्टअटेक से पीड़ित किडनी फेल्योर 68 वर्षीय मरीज की बचाई जान

रांची: एचईसी पारस अस्पताल में हार्ट अटैक से पीड़ित किडनी फेल्योर 68 वर्षीय पुरुष मरीज की जीरो कंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक की गई। इससे मरीज की जान बच गई। इमरजेंसी में आए पुरुष को पारस अस्पताल के एडवांस कार्डियक विभाग में भर्ती कराया गया है।
सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजी के प्रमुख डॉ. महेश कुशवाहा ने कहा कि जीरो कंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी की नई तकनीक है जो आने वाले भविष्य में विशेष रूप से किडनी फेल्योर रोगियों और गुर्दे फेल्योर के उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए वरदान साबित होगी। जिन्हें एंजियोप्लास्टी से गुजरना पड़ता है. इस विधि से किडनी फेल्योर के मरीजों पर एंजियोप्लास्टी की जा सकती है, वह भी बिना उन्हें स्थायी डायलिसिस पर धकेले. डॉ. कुशवाहा ने बताया कि किडनी मरीजों में स्थायी डायलिसिस पर जाने का डर बना रहता है. लेकिन जीरो कंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी से इससे बचा जा सकता है, जिससे मरीजों को लंबे जीवन जीने में मदद मिलेगी।
क्या है जीरो कंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी
जीरो कंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी एक ऐसी तकनीक है, जिसमें विशेष और आधुनिक इमेजिंग तकनीक शामिल है, जो कंट्रास्ट एजेंटों का उपयोग किए बिना एंजियोप्लास्टी करती है. उसके इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस) कोरोनरी इमेजिंग सिस्टम का उपयोग प्रक्रियाओं को निर्देशित करने के लिए किया जाता है, जिससे कंट्रास्ट एजेंटों के उपयोग से पूरी तरह से बचा जा सकता है. एंजियोप्लास्टी की इस पद्धति से किडनी फेल्योर और प्रत्यक्ष गुर्दे की विफलता से पूरी तरह बचा जा सकता है. यह पहले से मौजूद किडनी फेल्योर वाले रोगियों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है.
पारस एचईसी अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ नीतेश कुमार ने बताया की पारस एचईसी अस्पताल में मरीजों का विशेष ख़्याल रखा जाता है यहाँ हमारी टीम उपचार की नई व उन्नत मशीनरी व विधि द्वारा मरीजों की स्थिति के अनुसार हमारी टीम उनकी सेवा में सदैव तत्पर रहती है। हृदय रोगियो के लिए हमारे यहाँ उन्नत तकनीति पद्धति द्वारा इलाज की व्यवस्था है। हमें गर्व है कि अब प्रदेश के हृदय रोगियों को इलाज के लिए कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है।

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