-समाज में रचनात्मक बदलाव के लिए युवाओं को आगे आने की जरूरत

रांची: भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की युवा इकाई एन एस एस के राँची विश्वविद्यालय इकाई का 53 वां स्थापना दिवस आर यू के आई एल एस सभागार में ” सामाजिक परिवर्तन में युवाओं का योगदान ” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई । संगोष्ठी की शुरुआत एन एस एस के लक्ष्य गीत ” उठे समाज के लिए उठें, जगें स्वराष्ट्र के लिए जगें, स्वयं सजे वसुंधरा सवाँर दें ” से किया गया।
संगोष्ठी की मुख्य अतिथि नेहरू युवा केन्द्र संगठन की राज्य निदेशक श्रीमती हनी सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि समाज में रचनात्मक बदलाव हेतु युवाओं को आगे आना होगा।उन्होंने कहा कि भारत युवाओं का देश है एवं युवा अगर ठान लें तो देश की तकदीर एवं तस्वीर बदलने की क्षमता रखता है।उन्होंने कहा कि समाज के बीच हम जितने गतिविधियों को संचालित करेंगे उतना ही सकारात्मक परिणाम दिखाई देगा। उन्होंने एन एस एस के युवाओं से अपील करते हुए कहा कि आप आज संकल्प लें एवं निरंतर सेवा भाव के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन के साक्षी बनें।
राज्य एन एस एस पदाधिकारी डॉ ब्रजेश कुमार ने कहा कि एन एस एस अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से समाज में अमूल्य योगदान दे रहा है एवं जहां कम वहाँ हम के सिद्धान्त पर निरंतर अग्रसर है।उन्होंने कहा कि एन एस एस की स्थापना 24 सितम्बर 1969 को हुई एवं उस समय देश भर में 40000 (चालीस हजार ) स्वयंसेवक एन एस एस से जुड़े थे लेकिन 53 वर्षों में एन एस एस के कुल 42 लाख स्वयंसेवकों का विशाल समूह है।
संगोष्ठी को एन एस एस के कार्यक्रम पदाधिकारी क्रमशःडॉ कमल कुमार बोस,डॉ राधेश्याम डे, डॉ कुमारी उर्वशी, डॉ मनीषा कुमारी, डॉ हेमंत कुमार, कंचन मुंडा, अनुभव चक्रवर्ती आदि ने संबोधित किया।
संगोष्ठी का सफल संचालन डॉ एमलीन केरकेट्टा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ रंजू कुमारी ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में विकास कुमार सिंह, दिवाकर आनंद, रोहित राज, मेराज, दीक्षा, आमरीन, दीपक, अमन, सुनील खलखो का उल्लेखनीय योगदान रहा।

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