झारखंड कांग्रेस : क्या करें की न करें, ये कैसी मुश्किल हाय, कोई तो बता दे इसका हल ओ मेरे भाई…….

रांचीः झारखंड में प्रदेश कांग्रेस की स्थिति अजीब हो गई है। खासकर झाममो ने अपने हर फैसले से कांग्रेस को चौका दिया है। बात राज्यसभा की हो या फिर राष्ट्रपति चुनाव की। झामुमो का हर फैसला कांग्रेस को हैरत में डाल दिया। बस कांग्रेस के सामने अब यही है कि …. क्या करें कि न करें.. ये कैसी मुश्किल हाय… कोई तो बता दे इसका हल ओ मेरे भाई…. फिल्म रंगीला यह गाना प्रदेश कांग्रेस पर एकदम फिट बैठ रहा है। अब सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को लेकर कांग्रेस में भी दो विचारधाएं चल रही है। कांग्रेस में आदिवासियत की राजनीति करने वाले कई नेता द्रौपदी मूर्मू के पक्ष में दिख रहे हैं। लेकिन खुल कर नहीं बोल रहे। सूत्रों की माने तो कांग्रेस कोटे से कैबिनेट मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव, राजेश कच्छप, भूषण बाड़ा सहित एक दो और विधायक द्रौपदी मुर्मू की ओर सॉफ्ट कॉर्नर रख रहे हैं। गुपचुप इसकी चर्चा भी कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस नेता अजय कुमार के बयान से भी कांग्रेस असहज हो गई है। इस पर कोई कुछ खुल कर नहीं हो पा रहा है। दूसरी खास बात यह भी कि यशवंत सिन्हा का पूरा राजनीति करियर कांग्रेस विरोधी ही रहा है। इस बात को लेकर भी विधायकों में असहजता का माहौल है। कांग्रेस के कुछ विधायक इस पर न्यूट्रल नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव में राजनीति नहीं होनी चाहिए। पर वे खुलकर नहीं बोल रहे। इस मसले पर शनिवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी। वहीं यशवंत सिन्हा भी कांग्रेस विधायकों से मिलेंगे। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस यशवंत सिन्हा के साथ खड़ा है। फिलहाल चर्चा यह है कि प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आलाकमान से मिले निर्देशों से पार्टी के वरीय नेताओं को अवगत कराएंगे।

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