जल, जंगल और जमीन आदिवासी जीवन का हिस्साः राकेश टिकैत

लातेहारः किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के आदिवासी आज भी विकास से वंचित हैं। मुझे बताया गया है कि फिल्ड फायरिंग रेंज से लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। अपने घर-बार, खेत खलिहान,जल जंगल, सरना, अखड़ा एवं धर्म संस्कृति से भी दूर होना पड़ेगा जो कि आदिवासी जीवन का एक अभिन्न अंग है। वे बुधवार को नेतरहाट के पठारी क्षेत्र स्थित टूटूआ पानी में फिल्ड फायरिंग रेंज के विरोध में आयोजित प्रदर्शन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार इनकी जमीन को आसानी से लूटने का प्रयास कर रही है। परंतु यहां के किसान प्रेरणा के काबिल हैं। किसानों ने एक साथ विरोध करते हुए कहा है कि वे लोग अपनी जमीन किसी भी कीमत में नहीं बेचेंगे। सभा के दौरान पूरा इलाका जान देंगे जमीन नहीं देंगे के नारे से गूंज उठा। लातेहार और गुमला जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए हजारों प्रदर्शनकारियों ने एक साथ फील्ड फायरिंग रेंज का विरोध करते हुए कहा कि इस प्रस्ताव को सरकार को वापस लेना होगा।
इस प्रोजेक्ट एवं इसकी अधिसूचनाओं के अनुसार 1471 वर्ग किलोमीटर अधिसूचित क्षेत्र होगा। नेतरहाट के 9 वर्ग किलोमीटर और अंदर के 9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सैनिक शिविर बनेंगे। इस पायलेट प्रोजेक्ट से वर्तमान लातेहार, गुमला एवं छत्तीसगढ़ का कुछ भाग प्रभावित होगा। प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए कई गांवों की भूमि अधिग्रहित की जाएगी। इससे कई गांवों का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जब स्थानीय लोग फील्ड फायरिंग रेंज का विरोध कर रहे हैं तो इसे तत्काल रद करने की जरूरत है।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अनिल मनोहर जेरोम जेराल्ड ने कहा कि 29 वर्षों से वे लोग इस प्रस्ताव को रद करने के लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं। उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक यह प्रस्ताव पूरी तरह रद न हो जाए।

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