डोभा से ग्रामीण और मवेशी बुझा रहे हैं अपनी प्यास,दूषित पानी पीकर लोग हो रहे हैं बीमार

रांची: चुनाव के समय में जनता को अपने पक्ष में करने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां क्षेत्र में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन देते हैं।लेकिन चुनाव समाप्त होते ही सारे वादे भूल जाते हैं। लोगों को स्वच्छ पानी भी नसीब नहीं हो पाता है। ऐसे में जनता को जब यह परेशानी होती है तो वे राजनेताओं को कोसते हैं।
यह तस्वीर राजधानी रांची से महज-40-50किमी दूर स्थित बुंडू चिरुडीह गांव का है। यहां पर ग्रामीण आदिवासी दूषित पानी को पीने के लिए मजबूर हैं। गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल भी नसीब नहीं हो रहा है।चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी में ग्रामीणों की स्थिति बद से बदत्तर हो गयी है।यहां रहने वाले ग्रामीण और मवेशी दोनों एक ही डोभा का पानी पीते हैं।
ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से पानी की समस्या को दूर करने के लिए मिन्नतें की लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
वहीं ग्रामीणों ने कहा कि राज्य सरकार जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपए का बजट बनाती है। लेकिन उसका इस्तेमाल कुछ ही ग्रामीण क्षेत्रों में होता है। इस गांव में गर्मी के समय में पेयजल का घोर संकट हो जाता है। हम लोग सोभा से पानी लाना पड़ता है। इसी दोभा में मवेशी भी अपनी प्यास बुझाते हैं।

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