पर्यटन विभाग के सचिव मनोज कुमार ने जिले के पर्यटन स्थलों का लिया जायजा

खूंटी: पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद और युवा कार्य विभाग के सचिव मनोज कुमार, निदेशक पर्यटन अंजली यादव, उपायुक्त लोकेश मिश्रा, उप विकास आयुक्त नीतिश कुमार सिंह,पर्यटन के संयुक्त सचिव मोइउद्दीन खां एवं अन्य अधिकारियों ने संयुक्त रूप से तोरपा प्रखंड अंतर्गत पेरवाघाघ का भ्रमण किया गया।
क्षेत्र भ्रमण के क्रम में पर्यटन स्थल में व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया।
पर्यटन स्थलों के विकास के लिए योजनाएं क्रियान्वित हैं। साथ ही पर्यटकों के मनोरंजन के लिए आवश्यक साधनों की भी व्यवस्था की जा रही हैं। साथ ही पर्यटन सामुदायिक विकास को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गई।
मौके पर पर्यटन सचिव ने जानकारी दी कि जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई प्रयास किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि पेरवाघाघ को प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के उदेद्श्य से उक्त स्थल का सौंदर्यीकरण कराया जाना है। भ्रमण कर आवश्यक व्यवस्थाओं को सुढृढ़ करने हेतु कार्य योजना के आधार पर कार्य करने के निर्देश दिए गए।
इसके साथ ही पर्यटकों की सुविधा के लिये सामुदायिक शौचालय, पेयजल, यात्री शेड, वाहन पड़ाव, बोटिंग आदि की व्यवस्था को लेकर चर्चा की गई। पेरवाघाग, पंचघाघ, दसम फॉल, लटरजंग, पेलोल डैम आदि पर्यटन स्थलों को भी विकसित करने को लेकर कार्य योजना तैयार की जा रही है, जिसके आधार पर व्यवस्थाओं को सुनिश्चित कर पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य को सार्थक किया जा सके।
खूंटी जिला के तोरपा प्रखंड क्षेत्र में चारों ओर से जंगल व पहाडियों से अच्छादित पेरवांघाघ जलप्रपात।
ऊंचे पहाडो़ं व घने जंगलों के बीच स्थित पेरवाघाघ जलप्रपात को आकर्षक पर्यटन स्थल बनाते हैं। खूंटी, तोरपा, तपकारा, मुरहू ,रनिया, कमडारा के अलावा रांची व दूसरे जिले के सैलानी भी यहां पहुंचते हैं।
पेरवा का मतलब कबूतर और घाघ का अर्थ ऊंचाई से गहरे गड्ढ़े मे गिरता पानी। पेरवा घाघ-कबूतर व ऊंचाई से गहरे गड्ढ़े मे गिरता पानी से मिलकर बना है। यहां कोयल व कारो नदी के संगम का पानी 80 फीट की ऊंचाई से गिरता है।
आसपास के लोग बताते हैं कि पहाडों कीे गुफाओं में कबूतरों का निवास भी है। इसलिए इसका नाम पेरवा घाघ पड़ा।
पेरवा घाघ में कई छोटे-बड़े जल प्रपात हैं।
सैलानियों की सुविधा के लिए पेरवां घाघ में आधारभूत संरचना का विकास किया जा रहा है। इसका सुंदरीकरण कराया जा रहा है। पर्यटकों के सुविधा के लिए जलप्रपात परिसर में सुगमतापूर्वक उतरने के लिए रेलिंग युक्त सीढ़ी, वाच टावर, यात्री शेड का निर्माण कराया गया है। पेरवांघाघ के झील का आनंद लेने के लिए नौका विहार की भी व्यवस्था है।
पेरवा घाघ में पर्यटकों की सुविधा के लिए सुबह से लेकर शाम तक पर्यटन मित्र एवं गोताखोर तैनात रहा करते हैं।
इसी कड़ी में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, श्री चंद्रशेखर द्वारा आवास के लाभुकों से मिलकर जानकारी ली गई।
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, निदेशक पर्यटन, संयुक्त सचिव, उपायुक्त, उप विकास आयुक्त एवं अन्य अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से डोंबारी बुरु का भ्रमण किया गया।
डोंबारी बुरु में पर्यटन विकास को लेकर किए जा रहे कार्यों का अवलोकन किया गया तथा इसे लेकर चर्चा की गई। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव द्वारा आवास के लाभुकों से मिलकर उन्हें मिल रहे लाभ की जानकारी ली गई। साथ ही समस्याओं को लेकर चर्चा की गई।
पर्यटन स्थल के विकास से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही लोगों को जागरूक करने से पर्यटन विकास को लेकर विचार – विमर्श किया गया।
खूंटी से करीब 17 किमी दूरी पर स्थित डोंबारी बुरु झारखंड की अस्मिता और संघर्ष का साक्षी है। यह स्थल बिरसा मुंडा और उनके लोगों के बलिदान की कर्मभूमि है। डोंबारी बुरु यानी डोंबारी पहाड़। डोंबारी बुरु पहाड़ी पर ही धरती आबा ने अंग्रेजों के खिलाफ अंतिम लड़ाई लड़ी थी। यहीं उन्होंने अपनी सेना संग्रहित की और अपनी विशिष्ट युद्ध कौशल से अंग्रेजों को के विरुद्ध क्रांति का आगाज़ किया।
9 जनवरी 1900 के उलगुलान में सैकड़ों लोग मारे गए थे। इस घटना के बाद से हर साल यहां क्रांतिकारियों की याद में शहादत दिवस मनाया जाता है। बिरसाइत धर्म को मानने वालों के लिए डोंबारी बुरु सबसे बड़ी तीर्थ स्थल है।

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