इस कानून का लाभ या हानिसमय बतायेगा, इससे सजा का दर बढ़ेगा: न्यायमूर्ति भेंगरा

रांची : झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रत्नाकर भेंगरा ने कहा है कि क्रिमिनल प्रोसिजर आइडेंटिफिकेशन कानून 2022 निष्पक्ष दिखता है लेकिन यह समय बतायेगा की इसका कितना लाभ या कितना नुकसान है। जब तक इसका पूर्ण स्वरूप सामने नही आता इसकी विस्तृत व्याख्या सम्भव नही है।

श्री भेंगरा आज इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स झारखंड द्वारा एक्स एल आर आई जमशेदपुर के प्रभु सभागार में क्रिमिनल प्रोसीजर आइडेंटिफिकेशन कानून 2022 और उससे संबंध अन्य कानून नामक विषयक एकदिवसीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

श्री भेंगरा ने कहा कि धर्म की आजादी या लोंगो की आजादी पर इसका असर नही पड़ेंगा। यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में अभी लंबित है इसलिए इस पर अभी ज्यादा टिप्पणी करना उचित नही होंगा।

इस अवसर पर सम्मानित अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए झारखण्ड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेश कुमार शुक्ल ने कहा कि समय के साथ न सिर्फ तकनीकी बदलाव हो रहे है बल्कि अपराध भी बढ़ रहे है इसलिए इस नए कानून की आवश्यकता पड़ी।

श्री शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के राष्ट्रीय महामंत्री भी है ने कहा कि इस कानून से किसी की भी प्राइवेसी का हनन नही होंगा। डेटा पूरी तरह सुरक्षित होंगा। श्री शुक्ल ने झारखंड में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने और झारखंड के बजट में अधिवक्ता कल्याण की योजनाओं के लिए निधि आवंटन का प्रावधान करने की अपनी मांग को दोहराया।

इस अवसर पर अध्यक्षता करते हुए झारखंड स्टेट बार कौंसिल के सदस्य और इंडियन एसोसिएशन ऑफ लायर्स के सचिव श्री अब्दुल कलाम रसीदी ने कहा कि यह कानून संविधान के मौलिक अधिकार का हनन है बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं को तकनीकी और कानूनी उलझनों का सामना करना पड़ेगा। वैसे जब तक इसके सभी नियम, परिनियम सामने नही आते स्थिती स्पषट नही होंगी।

इस अवसर पर झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री रत्नाकर भेंगरा ने झारखंड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेश कुमार शुक्ल को झारखंड में अधिवक्ताओं के हितों और उनके कल्याण के लिए निरंतर कार्य करने के लिये उन्हें प्रशस्ति प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया तथा श्री शुक्ल के कार्यकुशलता की सराहना की।

पूर्वी सिंहभूम के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश श्री अनिल कुमार मिश्र ने सेमिनार की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी।

इस अवसर पर जिला बार एसोसिएशन की तदर्थ समिति के अध्यक्ष लाला अजित कुमार अम्बस्ट, जमशेदपुर कोऑपरेटिव विधि महाविद्यालय के प्राचार्य श्री जितेन्द्र कुमार , जमशेदपुर के विशेष लोक अभियोजक अधिवक्ता श्री जयप्रकाश, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी रांची के प्रोफेसर डॉ शुभम श्रीवास्तव सहित अन्य विधि शिक्षा से जुड़े संस्थाओ के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे तथा इस कानून के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

कार्यक्रम में जमशेदपुर के सभी न्यायिक पदाधिकारी, सरायकेला बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश, पूर्व सांसद श्री सालखन मुर्मू, चाईबासा के सरकारी वकील श्री पवन शर्मा, रांची के सरकारी वकील श्री हृदय नाथ विश्वकर्मा, जिला बार एसोसिएशन जमशेदपुर के पूर्व अध्यक्ष श्री तापस मित्रा, पूर्व उपाध्यक्ष मोहम्मद कासिम, जमशेदपुर इंडियन एसोसिएशन ऑफ लायर्स के अध्यक्ष श्री दिलीप महतो, पदाधिकारी श्री पी पी भगत, अक्षय झा, एस के बरनवाल सहित भारी संख्या में अधिवक्ता और न्यायिक अधिकारी उपस्थित थे। संचालन श्री दिलीप महतो ने किया धन्यवाद ज्ञापन सचिव श्री एस के बर्णवाल ने किया।

इस अवसर पर कनीय अधिवक्ताओं को बैग और भारतीय दंड संहिता की एक एक पुस्तक प्रोत्साहन के रूप में दी गयी।
इस कार्यक्रम में 400 से अधिक अधिवक्ताओं ने भाग लिया।

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