यूपोषण अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं और बच्चों के खान पान संबंधित दी गई जानकारी

खूंटी : पोषण माह के तहत रंगोली प्रतियोगिता, स्वच्छता, अन्नप्राशन, गोदभराई व अन्य कार्यक्रम के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाए जा रही हैं। पोषण अभियान के अन्तर्गत पोषण माह के सफल संचालन को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य लोगों में पोषण संंबंधी जानकारी व व्यवहार परिवर्तन लगाया जा रहा है, ताकि कुपोषण के उन्मूलन के प्रति सजग रहें। इस दौरान गर्भवती माताओं को उनके खानपान की जानकारी दी जा रही है, ताकि शिशु में कुपोषण को शुरुआती दौर में ही रोका जा सके। इसके साथ ही कुपोषण ग्रसित महिलाओं के बीच जनजागरूकता अभियान के माध्यम से उन्हें पोषण युक्त भोजन ग्रहण करने के साथ-साथ शिशुओं में उचित पोषण स्तर को बढ़ावा देने के लिए माताओं को स्तनपान के साथ ऊपरी आहार के महत्वों के विषय में जानकारी प्रदान की जा रही है। इस अभियान के माध्यम से गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को बच्चे के जन्म के छह माह तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाने हेतु प्रेरित करना, शिशुओं के छह माह पूरे होने पर उन्हें स्तनपान के साथ-साथ पूरक आहार की जानकारी देना तथा खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, शौच के बाद, कूड़ा-कचरा उठाने के बाद अपने हाथों को साबुन से धोने आदि विषयों की विस्तृत जानकारी साझा की जा रही है।
पोषण अभियान का दायित्व यह है कि जिले भर में जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र हैं, सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर अधिकाधिक संख्या में माताओं, किशोरियों तथा बच्चों को पोषण से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराया जाय। आमतौर पर किसी भी बच्चे के लिए 1000 दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं, जन्म से पूर्व 9 महीने तथा जन्म के बाद 2 वर्ष महत्वपूर्ण होते हैं। इस 1000 दिन में माता एवं बच्चों के पोषण से संबंधित ध्यान रखना अतिआवश्यक होता है। इसकी शुरुआत गर्भधारण से ही प्रारंभ होती है, जब माताओं को अपना चेकअप करना एवं अपने बच्चें के विकास पर ध्यान देना होता है। साथ ही साथ चिकित्सक की सलाह लेना भी जरूरी होता है। गर्भवती महिलाओं के संस्थागत प्रसव हेतु सेविका/सहायिका मदद करती है। संस्थागत प्रसव के पश्चात बच्चे के पोषक तत्व व उसके से संबंधित जानकारी पोषण पखवाड़ा जागरूकता रथ के माध्यम से दी जाएगी। इसके अतिरिक्त बच्चों के खान-पान एवं कुपोषण से होने वाले दुष्परिणामों व पौष्टिक आहार की जानकारी दी जाएगी। प्रथम 6 महीने माता का दूध बच्चें के विकास लिए सर्वोत्तम होता है। बच्चे के जन्म के 03 वर्ष तक उसे घर का खाना उपलब्ध कराया जाता है। तत्पश्चात आंगनबाड़ी केंद्र उसका नामांकन कराया जाता है। आंगनबाड़ी केंद्र के जरिए बच्चे को उचित पौष्टिक आहार दिया जाता है, साथ ही साथ बच्चें को प्रारंभिक शिक्षा भी दी जाती है।

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