सरना धर्म कोड आदिवासी अस्मिता का सवाल, भाजपा ने हमेशा आदिवासियों की मांगों को दरकिनार किया : झामुमो

रांची: भाजपा द्वारा सरना धर्म कोड के मुद्दे पर झामुमो पर लगाए गए आरोपों को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा को आदिवासियों के हितों से कोई सरोकार नहीं है, वह सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस मुद्दे को उछाल रही है।

उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड आदिवासी अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान का सवाल है, जिसे लेकर झामुमो शुरू से गंभीर रहा है। भाजपा ने हमेशा आदिवासियों की मांगों को दरकिनार किया और उनके अधिकारों को कुचलने का प्रयास किया है। श्री विनोद पांडेय ने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार ने न तो 2014 से पहले और न ही बाद में कभी ईमानदारी से सरना धर्म कोड के समर्थन में कोई पहल की। उल्टे उनकी सरकारों ने वनाधिकार कानून और स्थानीय नीति जैसे महत्वपूर्ण मसलों पर आदिवासियों के खिलाफ कार्य किया है।

उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड की मांग कोई नई नहीं है, बल्कि यह वर्षों पुरानी सामाजिक मांग है, जिसे भाजपा अब राजनीति का मुद्दा बना रही है। “भाजपा को जवाब देना चाहिए कि उनकी सरकार ने इतने वर्षों में इस कोड को लागू क्यों नहीं किया। केंद्र में 10 साल से ज्यादा समय तक सत्ता में रहते हुए भी भाजपा ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी,” – श्री पांडेय ने कहा।

उन्होंने भाजपा के बयान को हास्यास्पद करार देते हुए कहा कि “जो पार्टी आदिवासियों की ज़मीन छीनने के लिए कॉर्पोरेटों को सौंपना चाहती है, वह आज घड़ियाली आंसू बहा रही है।”

झामुमो महासचिव ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन की सरकार सरना धर्म कोड को लेकर गंभीर है और इसे जल्द से जल्द लागू करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बना रही है। उन्होंने भाजपा से सवाल किया कि क्या वह संसद में इस कोड के समर्थन में प्रस्ताव लाएगी या फिर सिर्फ जनभावनाओं को भड़काने का काम करेगी।

श्री पांडेय ने अंत में कहा कि जनता अब भाजपा की चालों को समझ चुकी है और आगामी चुनाव में इसका करारा जवाब देगी।

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