आकार भी नहीं ले पाया संगठन, पड़ गई दरार, कहीं बेदम न हो जाए खतियानी झारखंडी मोर्चा

रांचीः खतियानी झारखंड मोरचा कहीं बेदम न हो जाए। मोरा ने अभी तक आकार भी नहीं लिया था, अब इसमें दरार पड़ने लगी है। 1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार बनाने समेत अन्य ज्वलंत मुद्दों को लेकर आनन-फानन में गठित खतियानी झारखंडी मोर्चा गठन बेदम होताााा नजर आ रहा है। मोर्चा की महासचिव गीताश्री उरांव ने पद छोड़ने की घोषणा की है। उरांव राज्य सरकार की पूर्व मंत्री हैं और हाल ही में उन्होंने कांग्रेस छोड़ने की घोषणा की थी। बताते चलें कि सिल्ली के पूर्व विधायक अमित महतो के नेतृत्व में खतियानी झारखंडी मोर्चा की घोषणा की गई थी। गीताश्री द्वारा नवगठित मोर्चा से किनारा करने पर अध्यक्ष अमित महतो ने कहा कि उन्हें भी इसकी जानकारी मिली है। अभी उनसे बातचीत नहीं हुई है। उनके साथ छोड़ने पर कुछ कह नहीं सकते। हम व्यापक मुद्दे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
आजसू के संस्थापक अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा का कहना है कि पहले एकजुट होकर संगठन बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन अमित महतो ने हड़बड़ी में सब गड़बड़ी कर दिया। इसका परिणाम सबके सामने है। उनकी इच्छा युवा नेतृत्व को सामने लाने की थी। 15 अप्रैल को जमशेदपुर से सटे घाटशिला में साथियों का जुटान निर्धारित किया गया है। इसके बाद 18-19 अप्रैल को रांची के नामकुम बगीचा में कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। हर जिले से 10-10 युवाओं को आगे लाने की योजना है ताकि आंदोलन को धार दी जा सके।
अमित महतो के मोर्चा से इतर बनने वाले नए प्रेशर ग्रुप की कमान बोकारो और धनबाद क्षेत्र में तेजी से उभरे जयराम महतो को दी जा सकती है।

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