सरकार मुख्यमंत्री चला रहें या नौकरशाह, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन क्लियर करें : प्रदीप वर्मा
रांची: भाजपा के प्रदेश महामंत्री प्रदीप वर्मा ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने सरकार के हालिया कुछ निर्णय और घटनाक्रम का उदाहरण देते हुए पूछा है कि झारखंड में सरकार मुख्यमंत्री चला रहे हैं या फिर नौकरशाह, हेमंत सोरेन को यह स्पष्ट करनी चाहिए।
श्री वर्मा ने कहा है कितनी हास्यास्पद है कि 206 नई एंबुलेंस सड़क पर चलने के लिए पूरी तरह तैयार भी नहीं और उसका उद्घाटन मुख्यमंत्री के द्वारा कर दिया जाता है। पहले तो 9 माह तक कबाड़ में इसे रखा गया और जब हैंडओवर लिया गया तो फिर यह स्थिति। ना रजिस्ट्रेशन, ना इंश्योरेंस, ना ड्राइवर और एंबुलेंस का उदघाटन किया जाना आम जनता के साथ मजाक नहीं तो क्या है। कितनी शर्मनाक बात है कि उद्घाटन के बाद चालक की बहाली के लिए विज्ञापन जारी किया गया है।
दूसरा मामला बच्चों के बीच साइकिल वितरण का है। पिछले तीन सत्रों तक सरकार इसके लिए टेंडर टेंडर का खेल खेलती है। फिर मुख्यमंत्री 12 जुलाई को समीक्षा बैठक के बाद “लौट के बुद्धू घर को आए” की तर्ज पर डीबीटी के माध्यम से साइकिल खरीद के लिए खातों में पैसे भेजने की घोषणा करते हैं। सिर्फ कमीशनखोरी के लिए तीन सालों तक बच्चों को इस योजना से वंचित रखा गया। साइकिल का पैसा खातों में देने के सीएम के निर्देश के बाद फिर अगले दो सत्रों के लिए अधिकारी टेंडर टेंडर खेलने की तैयारी में हैं। अधिकारी टेंडर का लोभ छोड़ने को तैयार क्यों नहीं है, यह बतलाने की जरूरत नहीं है। बड़ा सवाल है कि सरकार चला कौन रहा है सीएम या अधिकारी ? इन चीजों को देखकर तो साफ प्रतीत होता है कि राज्य में नौकरशाही हावी है। जब डीबीटी की व्यवस्था है तो फिर साइकिल खरीद कर विद्यार्थियों को देने की बात प्रारंभ से ही समझ से परे है। भाजपा प्रारंभ से ही हेमंत सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय पर सवाल उठाती रही है। इसलिए तो लोग कहते हैं कि यह सरकार है या सर्कस?