कथा तरंग की कहानियां नई दृष्टि देती हैं : डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल

जयपुर, कथा तरंग और प्रौढ शिक्षण समिति जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में सुप्रसिद्ध कथाकार अशोक आत्रेय, हेमंत शेष और सुभाष दीपक की 22 कहानियां से सजे कथा संग्रह ‘कथा तरंग‘ का लोकार्पण किया गया।
मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित आलोचक डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने तीनों कथाकारों को बधाई देते हुए कहा कि कहानीकारों ने कहानी के परंपरागत ढांचे को तोड़कर नए ढंग से लिखने का प्रयास किया है। इनमें नए प्रयोग किए गए हैं। पाठक भी एक ही धारा का नहीं होता बल्कि उसकी रुचिया भी निरंतर बदलती रहती है। डॉ अग्रवाल ने संग्रह की भूमिका के लिए हेमंत शेष की सराहना करते हुए कहा कि इसके माध्यम से कहानी को नए सिरे से समझा जा सकता है। अशोक आत्रेय की कहानी प्रयोगशील है तो सुभाष परंपरागत कहानियों के निकट हैं और हेमंत शेष की कहानियां विचारशील है।
समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि आलोचक कृष्ण कल्पित ने कहा कि तीनों लेखकों का समवेत संकलन अर्थ पूर्ण है। इसकी भूमिका में इस बात के संकेत हैं कि वह कहानी के मौजूदा ढांचे से असंतुष्ट हैं। यह नए गद्य, नई कहानी, समकालीन कथा के प्रति एक विनम्र विद्रोह है। कल्पित ने कहा कि हिंदी गद्य को आज जब नष्ट किया जा रहा है और पुरस्कृत किया जाता है तब ऐसी कहानियां नई आशा जगाती है। यह कहानियां सार्थक हैं। ऐसे प्रयोग हिंदी कहानी में निरन्तर होते रहने चाहिए। तभी हिंदी की कहानी, गद्य, हिंदी की प्रयोगशीलता और आधुनिकता बच सकेगी।
डॉ. राजाराम भादू ने कहा कि कलाओं की दुनिया में संवाद निरन्तर होने चाहिए। हेमन्त शेष ने हिन्दी साहित्य के पुरोधा प्रकाश जैन, रिजवान जहीर उस्मान और अशोक आत्रेय जैसे समृद्ध रचनाकारों को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया है। जिन्होंने जीवन में कभी समझौता नहीं किया और यह एक सार्थक प्रयास है। ‘कथा तरंग‘ संचयन मायने रखता है। इससे कथा परम्परा को नया आयाम मिलेगा। यह संचयन पारम्परिक ढांचा तोड़ने में नयापन लाएगा। वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक आफरीदी ने कहा कि कथा तरंग की कहानियों में अणु शक्ति है और हृदय के भीतर उसकी अनुगूंज अपनी छाप छोड़ती है। इन कहानियों में बडे़ गहरे संदेश हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र बोड़ा, प्रभाकर गोस्वामी, गनेन्द्र रिझवानी, विजय तैलंग, महेश स्वामी और डॉ. सम्बोध गोस्वामी ने भी कथा संग्रह की उपादेयता पर विचार व्यक्त किए। कथाकार आत्रेय ने ‘मोक्ष‘, हेमंत शेष ने ‘खाली कमरा‘ और सुभाष दीपक ने ‘वंदेमातरम‘ कथा का पाठ किया। डॉ प्रणु शुक्ला ने संग्रह पर पत्र वाचन करते हुए कहा कि यह संग्रह बुद्धि की तरकश और तर्क के तीरों से संयुक्त है। संग्रह ऐसे भावों का रथ है जिस पर बैठकर यथार्थ की यात्रा की जा सकती है। ये कहानियां हृदय तक उतरती हैं। कार्यक्रम का सफल संचालन व्यंग्यकार प्रभात गोस्वामी ने किया।

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