एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट बिना विलम्ब के लागू करे राज्य सरकार : राजेश शुक्ल

चतरा जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ता जग्गनाथ पंडित की हत्या कायरतापूर्ण करवाई और निन्दनीय

झारखंड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और सुप्रसिद्ध अधिवक्ता श्री राजेश कुमार शुक्ल ने झारखंड के राज्यपाल श्री रमेश बैस और राज्य के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन को ई मेल भेजकर झारखंड में बिना विलंब के एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू कराने का आग्रह किया है।

श्री शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के राष्ट्रीय महामंत्री भी है ने लिखा है कि झारखंड में अधिवक्ताओं को मुकदमों में पैरवी करने पर धमकी तो मिलती है लेकिन पिछले 3 बर्षो में कई अधिवक्ताओं की हत्या भी हुई है।चतरा के अधिवक्ता जगरनाथ पंडित की हत्या ताजा उदाहरण है । इसके पूर्व जमशेदपुर, रांची और संथाल में भी अधिवक्ता की हत्या की घटना घटी थी।

श्री शुक्ल ने कहा है कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट का प्रारूप राज्य सरकार के पास लंबित है। सरकार द्वारा पुनः मांगने पर पिछले महीने झारखंड स्टेट बार कौंसिल ने भेजा है लेकिन राज्य सरकार इस पर गंभीर नही है।

श्री शुक्ल ने लिखा है राज्य में अधिवक्ता अनेक कठिनाइयों को और चुनौतियों को झेलकर और दायित्व निभाते है कही कही न्यायालय में तो अधिवक्ताओं को बैठने की बेहतर व्यवस्था और आधारभूत संरचना भी नही है लेकिन राज्य सरकार उदासीन है। कोविड में स्वर्गवासी अधिवक्ताओं को भी राज्य सरकार ने आर्थिक पैकेज नही दिया जबकि कौंसिल द्वारा लगातार मांग की गई।

श्री शुक्ल ने कहा है कि तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु ,केरल और पश्चिम बंगाल में अधिवक्ताओं के कल्याणकारी योजनाओं के लिए वहा की राज्य सरकारों ने अपने बजट में निधि का आवंटन किया है। लेकिन झारखंड में राज्य सरकार के पास लगातार कौंसिल ने इस आशय का ज्ञापन सौंपा लेकिन राज्य सरकार ने इस पर कोई निर्णय नही लिया। जिससे राज्य के अधिवक्ताओं में नाराजगी है।

श्री शुक्ल ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को लिखा है कि अधिवक्ताओं का स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक गौरवशाली इतिहास रहा है । राज्य सरकार अधिवक्ताओं के कल्याणकारी योजनाओं में निधि आवंटन के साथ एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट शीघ्र लागू करे ताकि अधिवक्ता निर्भीकता और मजबूती के साथ न्यायालय के कार्यों में सहभागिता निभा सके। श्री शुक्ल ने कहा है कि जल्द कौंसिल के सदस्य झारखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलकर इस आशय की मांग को स्मारित करायेंगे।

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