अनिद्रा और दु:स्वप्न नाश के कुछ प्रभावशाली मन्त्र
अनिद्रा नींद नहीं आना या बार-बार नींद खुल जाने को कहते हैं,और जब गहरी नींद नहीं आती तो बुरे व डरावने स्वप्न आने लगते हैं, उनको दु:स्वप्न कहते हैं ।
अनिद्रा और दु:स्वप्न का कारण कमजोर (दुर्बल) मन ।
कभी-कभी मनुष्य का मन किसी प्रकार की घटना से इतना क्षुब्ध हो जाता है कि न तो नींद ही ठीक से आती है और न ही स्वप्न अच्छे आते हैं । यदि थोड़ी नींद आती भी है तो तरह-तरह के डरावने सपने उसका पीछा नहीं छोड़ते हैं । व्यक्ति दु:स्वप्नों से इतना तंग आ जाता है कि वह सोने से भी डरने लगता है ।
कमजोर मन का कारण है नकारात्मक सोच
मनुष्य के मन में उपजे नकारात्मक विचार (भय, क्रोध, ईर्ष्या, अपेक्षा, घृणा, राग-द्वेष, चिन्ता आदि) उसे विचलित, दु:खी और कमजोर बनाते हैं । इस नकारात्मकता से बचने के लिए उसे इन महत्वपूर्ण बातों को जान लेना चाहिए ।
संसार में परमात्मा के सिवाय और कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
मनुष्य को संसार पर भरोसा छोड़कर अपने ऊपर विश्वास करना चाहिए।
संसार सदैव परिवर्तनशील है, यहां कोई भी चीज या परिस्थिति स्थायी नहीं है । मनुष्य को ‘अच्छा या बुरा—यह भी न रहेगा’ इस विचार का अभ्यास अपने जीवन में करना चाहिए ।
मनुष्य को दु:खों से भागना नहीं चाहिए बल्कि उनका भोग करना चाहिए । दु:ख देने वाली घटनाएं ही बुरे प्रारब्ध का नाश कर पीछे सुख का कारण बन जाती हैं।
इन सूत्रों को जीवन में उतारने से मनुष्य निश्चिन्त और निर्भय हो जाता है जिससे उसे गहरी व अच्छी नींद आने लगती है ।
अनिद्रा और दु:स्वप्न दूर करने के प्रभावशाली मन्त्र ।
हमारे ऋषियों ने कुछ ऐसे प्रभावशाली व तेजस्वी शब्दों का संग्रह कर मन्त्र बनाए जिनका कि विशेष अर्थ होता है और जो मनुष्य के जीवन को परिवर्तित करने की क्षमता रखते हैं । इन मन्त्रों के जप से मनुष्य के सभी प्रकार के भय और दु:स्वप्न दूर हो जाते हैं।
यदि किसी को नींद न आती हो तो हाथ-पैर धोकर सोते समय इस मन्त्र का जप करें । दो-तीन दिन इस मन्त्र का प्रयोग करने से ही अच्छी नींद आने लगेगी ।
अगस्तिर्माधवश्चैव मुचुकुन्दो महाबल : ।
कपिलो मुनिरास्तीक: पंचैते सुखशायिन: ।।
मां दुर्गा का एक रूप निद्रा (योगनिद्रा) है । हाथ-पैर धोकर सोते समय ‘दुर्गा सप्तशती’ के इस मन्त्र का नित्य जप करने से अच्छी नींद आने लगेगी ।
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
रात्रि में एकाग्रचित्त होकर गहरी सांस लेते हुए ऐसे शब्दों का उच्चारण करें जो मन को शान्त और संतुलित करें । जैसे ।
‘मैं शान्त और संतुलित हूँ । मेरे मन में किसी प्रकार की चंचलता, व्याकुलता या बुराई नहीं है क्योंकि मेरे अंदर साक्षात् ईश्वर विराजमान हैं। उन्हीं की शक्ति मुझमें काम कर रही है । मेरी शान्ति को कोई भंग नहीं कर सकता ।’
इस प्रार्थना को रोजाना सोते समय 7 बार दुहराएं । तुरन्त ही आपका मन हल्का हो जाएगा और गहरी नींद आने लगेगी ।
यदि किसी को बुरे स्वप्न आते हों तो रात्रि में हाथ-पैर धोकर पूर्व की ओर मुख करके इस मन्त्र का 108 बार जप करें । दु:स्वप्न आने बंद हो जाएंगे ।
वाराणस्यां दक्षिणे तु कुक्कुटो नाम वै द्विज: ।
तस्य स्मरणमात्रेण दु:स्वप्न सुखदो भवेत् ।।
यदि सोते समय श्रीरामदरबार का ध्यान करते हुए इस दोहे को सात बार दोहरा लें तब भी बुरे स्वप्न नहीं आते हैं—
‘श्रीराम, सीता, जानकी, जय बोलो हनुमान की ।’
रामभक्त हनुमान, गरुड़ और भीम को समर्पित इस मंत्र का सोते समय जप करने से अच्छी नींद आती है और बुरे सपने नहीं आते हैं–
रामस्कंदम् हनुमन्तं वैनतेयं वृकोदरम् ।
शयनयः स्मरेन्नित्यं दुःस्वप्नं तस्य नाशयति ।।
रात्रि में सोते समय यजुर्वेद (अध्याय 30 मन्त्र: 3) की यह प्रार्थना करें ।
‘ॐ विश्वानि देव सवितु: दुरितानि परा सुव यद् भद्रं तन्न आ सुव ।’
अर्थात्—‘हे परमपिता ! जो दु:खदायक वस्तुएं हों, उन्हें हमसे दूर हटा दीजिए । जो सब दु:खों से रहित कल्याणप्रद है, जिन चीजों से हमें आत्मिक सुख प्राप्त हो, उन्हें ही हमें प्रदान कीजिये ।’
इस प्रकार के सात्विक शब्दों से अपने आस-पास पवित्र वातावरण का निर्माण करने से मन शान्त और संतुलित रहेगा जिससे नींद भी अच्छी आएगी और दु:स्वप्नों का अंत हो जाएगा ।
इसके अलावा मनुष्य को सभी प्राणियों के साथ मित्रता की भावना रखनी चाहिए। गीता के अनुसार ‘सब कुछ वासुदेव श्रीकृष्ण ही हैं ।’
सब जग ईश्वर-रूप है, भलो बुरो नहिं कोय ।
जैसी जाकी भावना, तैसो ही फल होय ।।
मनुष्य के मन में इस भावना के विकसित होने पर कोई दूसरा प्राणी उसे हानि नहीं पहुंचा सकता, सभी उसके शुभचिन्तक बन जाते हैं । मनुष्य के अपने कर्म ही उसे सुख-दु:ख देते हैं । अत: प्रतिदिन अच्छे कर्मों का संचय करना चाहिए । इस तरह का दृष्टिकोण होने से मनुष्य के अंदर निर्भीकता की भावना आती है, उसके दु:स्वप्नों का अंत हो जाता है व अच्छी नींद आने लगती है ।
अच्छी व गहरी नींद का मूल मन्त्र ।
‘हमारा मन जितना-जितना परमात्मा की ओर झुकता जाएगा, उतनी-उतनी मन में शान्ति आती जाएगी । जहां शान्ति आयी, मन प्रसन्न हो जाएगा । प्रसन्नता आने पर मन का उद्वेग मिट जाता है । उद्वेग मिटना ही दु:खों की समाप्ति है ।’ (गीता २।६५)