15 सितम्बर बृहस्पतिवार का राशिफल एवम पंचांग

मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज आपको राजकीय कार्यों में उच्च वर्गीय मित्रों से सहयोग मिलेगा। घर, शौक, पसन्दीदा गतिविधियों के लिए समय मिलेगा, जोखिम लेने का मूड भी होगा। आप खुद को अकेला महसूस नहीं करेंगे। अच्छे मित्रों के साथ नजदीकियां बढ़ेंगी। आपके आदर्श/आध्यात्मिक झुकाव सामने आयेंगे, आप अपना ध्यान मजबूती से अपने परिवार पर लगाएं। आध्यात्मिक, धार्मिक, ध्यान, प्रार्थना आदि ये सब मिलकर आपको इतनी अधिक मजबूती प्रदान करेंगे कि आप घर और कार्यक्षेत्र में बेहतर सद्भाव कायम कर सकेंगे। आपके बच्चों की गतिविधियां खुशी तथा आनन्द का स्रोत बनी रहेंगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी , वु , वे, वो)
आज आप बच्चों और प्रियजनों के साथ अच्छा समय बिताएंगे।स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों, पालतू जानवरों ,बच्चों , बुजुर्गों और सामुदायिक गतिविधियों में व्यस्तता की वजह से कार्यक्रमों में फेरबदल की सम्भावना है। आपको कार्यक्षेत्र में सफलता और प्रसन्नता मिलेगी। आभूषण और कपड़े खरीद सकते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि आप चाहते हैं कि प्रियजन ज्यादा से ज्यादा सुन्दर दिखें। काम का दबाव कम होगा और आप नई योजनाओं और काम के बारे में सोच सकते हैं।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज आपका घर में मांगलिक कार्य की रूप रेखा बनाते हुए मन प्रसन्न रहेगा। प्रियजनों और बच्चों के अलावा आप आन्तरिक सज्जा तथा लेखन जैसी कला और घर की देखभाल जैसे क्षेत्रों में भी संवेदनशील होंगे। खानपान में संयम बरतना बहुत जरूरी है, खासकर ठण्डी चीजें खाने से बचें। किसी से कर्ज लेना व कर्ज देना दोनों ही काम न करें अन्यथा भविष्य में सम्बन्धों में दरार आ जायेगी। पुरानी यादें मन को कचोटेंगी और कुछ मानसिक तनाव का भी अहसास होगा।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज आपका दिन बेहतर रहेगा । सामाजिक दायरा बढेगा । मान सम्मान में वृद्धि होगी । रोजमर्रा के जीवन की रफ्तार भले ही कितनी भी अधिक क्यों न हो, मगर अपने स्तर पर शान्त बने रहेंगे। इस पक्ष में आप बुजुर्गों, गरीबों, बीमारों, असहाय लोगों की मदद करेंगे और उनके सरोकारों को अपना बनाने का प्रयास करेंगे। ऐसा आप किसी उद्वेग के कारण नहीं, बल्कि उनके प्रति वास्तविक भावनाओं के वशीभूत होकर करेंगे। नए कार्यों के लिए आगे शुभ समय का योगदान आपको मिलेगा।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आपके आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होगी। आपका अपने ही सहकर्मियों से अप्रत्यक्ष विरोध, प्राइवेट नौकरी से जुड़े व्यक्तियों पर कार्यभार की अधिकता रहेगी। किसी राजनीतिक व्यक्ति से मुलाकात होगी। यदि आप सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े हैं, तो चर्चा का विषय बन सकते हैं। मित्र या रिश्तेदारों की सहायता से महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल होगी। नौकरी पेशा लोगों के लिये समय सामान्य गुजरेगा। अनावश्यक खर्च होने से थोड़ी मानसिक खिन्नता रहेगी। किसी आध्यात्मिक व्यक्ति से चर्चा होगी। आकस्मिक छोटी-मोटी चोट लग सकती है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज आपका दिन सामान्य रहेगा। आध्यात्मिक रूचियां, आस्था, धार्मिक रूझान का प्रतीक है और इस समय यही सब महत्वपूर्ण भी रहेगा। चूंकि फिलहाल आपके घर परिवार और प्रेमपक्ष में सहजता बनी हुई है, लिहाजा आप तन्त्र, मन्त्र, अलौकिक विषयों/विज्ञान के प्रति अपने भीतरी उन्माद को समर्पित रहेंगे। आपके हृदय की पवित्रता के प्रतिफल के रूप में ईश्वरीय अनुकम्पा का लाभ आपको मिलेगा। आप स्वयं को सुखानुभूति और प्रसन्नता में आकंठ डूबा हुआ महसूस करेंगे। प्रसन्नता का भाव बना रहेगा। ये सब आपकी निजी कामयाबी का हिस्सा है, जो वास्तव में महान है। व्यवसाय, कैरियर, कार्य में ठोस सफलता मिल सकती है, आर्थिक स्थिति भी सहज रहेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज आप सिर्फ काम में व्यस्त रहें, मौज मस्ती न करें, ऐसा ठीक नहीं है। मनोरंजन सामाजिक स्तर पर मिलना जुलना, पार्टी, खाना—पीना आपको व्यस्त रखेगा। सम्पर्क संचार और कम्प्यूटर महत्वपूर्ण रहेंगे। मन करेगा खूब अधिक कार्य करें, परन्तु किन्हीं कारणों से आलस्य आगे हो जायेगा। साथ ही दौरे, यात्राएं, सम्बन्ध, प्रौद्योगिकी, खोज यात्राओं का भी योग है। आप मजे या मनोरंजन के लिए यात्रा पर जा सकते हैं, लेकिन इन सबका जबर्दस्त लाभ आपको मिलेगा। रुपये—पैसे के मामले में ही नहीं, बल्कि बौद्धिकता के स्तर पर भी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज आपका मौजूदा नजरिया फिलहाल कायम रहेगा। छोटे-मोटे विवाद, काम का दबाव, समस्याएं सिर उठाएंगी, लेकिन आप इन्हें पीछे छोड़ देंगे। एक अच्छे इंसान के रूप में आपका विकास और प्रगति जबर्दस्त रही है और ऐसी परिस्थितियां बनेंगी, जो इसे और प्रभावशाली बनाएंगी। व्यक्तिगत स्तर पर सन्तुष्टि का अनुभव होगा, सराहना और मान्यता प्राप्त होगी। वेतन-वृद्धि, प्रोन्नति, सुविधाएं, लाभ, सार्वजनिक स्तर पर प्रशंसा और पुरस्कारों के ठोस रूप में नतीजे सामने आएंगे। सौभाग्यवश इस समय वित्त सम्बन्धी कोई परेशानी नहीं होगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज व्यापार नौकरी के क्षेत्र में चल रहे प्रयास तो सफल होंगे ही, वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग से कार्य क्षेत्र का विस्तार भी होगा। आप अपना काम निकलवाने के लिए जोर लगाएंगे, दूसरों की मदद चाहेंगे, मोल-तोल करेंगे, ताकि सन्तोषजनक तरीके से हर काम पूरा हो सके। चुनौतियां जारी रहेंगी, लेकिन ये ही लाभ और प्रगति के अवसर जुटाएंगी। आप किसी अज्ञात, अलौकिक, रहस्य के पीछे भागेंगे और उसके बारे में जानना चाहेंगे। आप रचनात्मकता और नए विचारों से लबालब भरे होंगे। आपका प्रदर्शन अच्छा रहेगा और आप अपनी पहचान के लिहाज से खुद को साबित भी करेंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज व्यक्तिगत तौर से आप राह की अड़चनों को दूर करने की जरूरत समझेंगे। घरेलू एवं पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने सम्बन्धी सरोकार महत्वपूर्ण होंगे, पूर्व निर्धारित कार्यों में परिश्रम से सफलता मिलेगी। किसी नए कार्य में उतावलापन ठीक नहीं है। कारोबारी क्षेत्र में चल रहे प्रयास सफल होंगे। कोई नया अनुबंध लाभप्रद साबित होगा। दाम्पत्य जीवन में हल्का तनाव रहेगा। किसी नये कार्य को करने का अवसर प्राप्त होगा। परीक्षा में आंशिक सफलता मिलेगी। गर्म वस्तुओं का सेवन त्याग दें, तो अच्छा है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आविष्कारी तकनीकों, नई और साहसपूर्ण विधियों का लाभ मिलेगा। आप एक साथ कई गतिविधियों पर ध्यान देंगे। लापरवाही के कारण निराशा और दूसरी परेशानियां उठ सकती हैं। आप अपने कार्य में अत्यधिक व्यस्त रहेंगे, कुछ और सोचने का मौका नहीं मिलेगा। परिवार में सामान्य स्थितियाँ रहेंगी। सहकर्मियों से सहयोग की प्राप्ति होगी। किसी भी नई योजना की शुरूआत करने की तो सोचेंगे, पर किसी कारणवश टल जायेगी।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज किसी मित्र के सहयोग से व्यापार में लाभ की संभावना है। नौकरी -पेशा लोग उच्चाधिकारियों की उपेक्षा का शिकार हो सकते हैं। शक्ति, नैतिक समर्थन, मांगें, निर्देशन तथा प्रेरणा के लिए वापस परिवार, प्रियजन तथा जीवन साथी की ओर मुड़ेंगे। किसी नए काम के आरम्भ में कुछ आकस्मिक अड़चनों का सामना करना पड़ेगा। शेयर-बाजार एवं सट्टे से जुड़े व्यक्तियों की स्थिति सामान्य गुजरेगी। सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र में स्थिति सामान्य रहेगी। किसी बड़े महत्वपूर्ण कार्य की शुरूआत न करें। सहयोगी गण आपके ऊपर विशेष मेहरबान रहेंगे, पर दूरदर्शिता से काम लें, तो बेहतर होगा।

🌞ll ~ वैदिक पंचांग ~ ll🌞
🌤️ दिनांक – 15 सितम्बर 2022
🌤️ दिन – गुरुवार
🌤️ विक्रम संवत – 2079
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – शरद ॠतु
🌤️ मास – अश्विन
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – पंचमी सुबह 11:00 तक तत्पश्चात षष्ठी
🌤️ नक्षत्र – भरणी सुबह 08:05 तक तत्पश्चात कृत्तिका
🌤️ योग – हर्षण 16 सितम्बर प्रातः 05:28 तक तत्पश्चात वज्र
🌤️ राहुकाल – दोपहर 02:06 से शाम 03:38 तक
🌞 सूर्योदय – 05:20
🌦️ सूर्यास्त – 06:14
👉 दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण – षष्ठी का श्राद्ध, कृत्तिका श्राद्ध
🔥 विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌷 पितरों का उद्धार 🌷
🙏🏻 भगवान शिव अपने पुत्र से कहते हैं: कार्तिकेय ! संसार में विशेषतः कलियुग में वे ही मनुष्य धन्य हैं, जो सदा पितरों के उद्धार के लिये श्रीहरि का सेवन करते हैं । बेटा ! बहुत से पिण्ड देने और गया में श्राद्ध आदि करने की क्या आवश्यकता है। वे मनुष्य तो हरिभजन के ही प्रभाव से पितरों का नरक से उद्धार कर देते हैं। यदि पितरों के उद्देश्य से दूध आदि के द्वारा भगवान विष्णु को स्नान कराया जाय तो वे पितर स्वर्ग में पहुँचकर कोटि कल्पों तक देवताओं के साथ निवास करते हैं। – पद्मपुराण

🌷 श्राद्ध में क्या करें क्या ना करें 🌷
🌷 श्राद्ध एकान्त में ,गुप्तरुप से करना चाहिये, पिण्डदान पर दुष्ट मनुष्यों की दृष्टि पडने पर वह पितरों को नहीं पहुचँता, दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिये, जंगल, पर्वत, पुण्यतीर्थ और देवमंदिर ये दूसरे की भूमि में नही आते, इन पर किसी का स्वामित्व नहीं होता, श्राद्ध में पितरों की तृप्ति ब्राह्मणों के द्वारा ही होती है, श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मण को निमन्त्रित करना आवश्यक है, जो बिना ब्राह्मण के श्राद्ध करता है, उसके घर पितर भोजन नहीं करते तथा श्राप देकर लौट जाते हैं, ब्राह्मणहीन श्राद्ध करने से मनुष्य महापापी होता है | (पद्मपुराण, कूर्मपुराण, स्कन्दपुराण )
🌷 श्राद्ध के द्वारा प्रसन्न हुये पितृगण मनुष्यों को पुत्र, धन, आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष आदि प्रदान करते हैं , श्राद्ध के योग्य समय हो या न हो, तीर्थ में पहुचते ही मनुष्य को सर्वदा स्नान, तर्पण और श्राद्ध करना चाहिये,
शुक्ल पक्ष की अपेक्षा कृष्ण पक्ष और पूर्वाह्न की अपेक्षा अपराह्ण श्राद्ध के लिये श्रेष्ठ माना जाता है | (पद्मपुराण, मनुस्मृति)
🌷 सायंकाल में श्राद्ध नहीं करना चाहिये, सायंकाल का समय राक्षसी बेला नाम से प्रसिद्ध है, चतुर्दशी को श्राद्ध करने से कुप्रजा (निन्दित सन्तान) पैदा होती है, परन्तु जिसके पितर युद्ध में शस्त्र से मारे गये हो, वे चतुर्दशी को श्राद्ध करने से प्रसन्न होते हैं, जो चतुर्दशी को श्राद्ध करने वाला स्वयं भी युद्ध का भागी होता है | (स्कन्दपुराण, कूर्मपुराण, महाभारत)
🌷 रात्रि में श्राद्ध नहीं करना चाहिये, उसे राक्षसी कहा गया है, दोनो संध्याओं में भी श्राद्ध नहीं करना चाहिये, दिन के आठवें भाग (महूर्त) में जब सूर्य का ताप घटने लगता है उस समय का नाम ‘कुतप’ है, उसमें पितरों के लिये दिया हुआ दान अक्षय होता है, कुतप, खड्गपात्र, कम्बल, चाँदी , कुश, तिल, गौ और दौहित्र ये आठो कुतप नाम से प्रसिद्ध है, श्राद्ध में तीन वस्तुएँ अत्यन्त पवित्र हैं, दौहित्र, कुतपकाल, तथा तिल, श्राद्ध में तीन वस्तुएँ अत्यन्त प्रशंसनीय हैं, बाहर और भीतर की शुद्धि, क्रोध न करना तथा जल्दबाजी न करना (मनुस्मृति, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुपुराण)

🌷 श्राद्ध में भोजन कराने का विधान 🌷
🙏🏻 भोजन के लिए उपस्थित अन्न अत्यंत मधुर, भोजनकर्त्ता की इच्छा के अनुसार तथा अच्छी प्रकार सिद्ध किया हुआ होना चाहिए। पात्रों में भोजन रखकर श्राद्धकर्त्ता को अत्यंत सुंदर एवं मधुरवाणी से कहना चाहिए किः ‘हे महानुभावो ! अब आप लोग अपनी इच्छा के अनुसार भोजन करें।’
🙏🏻 फिर क्रोध तथा उतावलेपन को छोड़कर उन्हें भक्ति पूर्वक भोजन परोसते रहना चाहिए।
🙏🏻 ब्राह्मणों को भी दत्तचित्त और मौन होकर प्रसन्न मुख से सुखपूर्वक भोजन कराना चाहिए।
“लहसुन, गाजर, प्याज, करम्भ (दही मिला हुआ आटा या अन्य भोज्य पदार्थ) आदि वस्तुएँ जो रस और गन्ध से युक्त हैं श्राद्धकर्म में निषिद्ध हैं।”(वायु पुराणः 78.12)
“ब्राह्मण को चाहिए कि वह भोजन के समय कदापि आँसू न गिराये, क्रोध न करे, झूठ न बोले, पैर से अन्न को न छुए और उसे परोसते हुए न हिलाये। आँसू गिराने से श्राद्धान्न भूतों को, क्रोध करने से शत्रुओं को, झूठ बोलने से कुत्तों को, पैर छुआने से राक्षसों को और उछालने से पापियों को प्राप्त होता है।”(मनुस्मृतिः 3.229.230)
“जब तक अन्न गरम रहता है और ब्राह्मण मौन होकर भोजन करते हैं, भोज्य पदार्थों के गुण नहीं बतलाते तब तक पितर भोजन करते हैं। सिर में पगड़ी बाँधकर या दक्षिण की ओर मुँह करके या खड़ाऊँ पहनकर जो भोजन किया जाता है उसे राक्षस खा जाते हैं।”(मनुस्मृतिः 3.237.238)
“भोजन करते हुए ब्राह्मणों पर चाण्डाल, सुअर, मुर्गा, कुत्ता, रजस्वला स्त्री और नपुंसक की दृष्टि नहीं पड़नी चाहिए। होम, दान, ब्राह्मण-भोजन, देवकर्म और पितृकर्म को यदि ये देख लें तो वह कर्म निष्फल हो जाता है।
सुअर के सूँघने से, मुर्गी के पंख की हवा लगने से, कुत्ते के देखने से और शूद्र के छूने से श्राद्धान्न निष्फल हो जाता है। लँगड़ा, काना, श्राद्धकर्ता का सेवक, हीनांग, अधिकांग इन सबको श्राद्ध-स्थल से हटा दें।”(मनुस्मृतिः 3.241.242)
“श्राद्ध से बची हुई भोजनादि वस्तुएँ स्त्री को तथा जो अनुचर न हों ऐसे शूद्र को नहीं देनी चाहिए। जो अज्ञानवश इन्हें दे देता है, उसका दिया हुआ श्राद्ध पितरों को नहीं प्राप्त होता। इसलिए श्राद्धकर्म में जूठे बचे हुए अन्नादि पदार्थ किसी को नहीं देना चाहिए।”(वायु पुराणः 79.83)

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