झारखंड की राजनीति के कई रंग, बोलो क्या क्या देखोगे…

सीएम से लेकर सरकारी विभाग और ब्यूरोक्रेट्स भी लपेटे में
खदान लीज मामले में सीएम की कुर्सी पर खतरा तो 2 विभागों के प्रभाव के चक्कर मे ब्यूरोक्रेट्स फटाफट
रांची। झारखंड की राजनीति में कई रंग देखने को मिल रहे हैं कहा भी जा रहा है बोलो कौन कौन सा रंग देखोगे। वर्तमान में जो राजनीति कर रंग दिख रहा है वह बड़ा चमकीला और चुभने वाला भी है आंखों में भी यह रंग काफी तेजी से गड़ रहा है। कहां भी जा रहा है कि अगला एक सप्ताह झारखंड की राजनीति के लिए काफी अहम है। खदान लीज मामले में चुनाव आयोग द्वारा सीएम को नोटिस मिलने के बाद सियासी रंग भी अपने रंग में रंग गया है। हर एंगल से कार्रवाई करने की बात भी सामने आ रही है। सियासी घमासान के बीच तीन एंगल कार्रवाई के लिए गिनाए भी जा रहे हैं। पहले एंगल में बताया जा रहा है कि लोक सेवक के रूप में सीएम हेमंत सोरेन ने पद का दुरुपयोग किया है। माइनिंग लीज मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 दो के तहत कार्यवाही की जा सकती है वही दूसरे एंगल में कहा जा रहा है कि माइनिंग लीज लेना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए के दायरे में है। इस नियम के अनुसार सीएम की सदस्यता समाप्त हो सकती है। तीसरा एंगल यह भी बताया जा रहा है कि प
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बनाए गए आचार संहिता के प्रावधान के तहत कोई मुख्यमंत्री और मंत्री व्यवसाय नहीं कर सकता है। इस नियम के आधार पर भी कार्रवाई की जा सकती है। बाहर हाल अप सीएम के पक्ष के बाद यह देखना दिलचस्प होगा की सीएम की कुर्सी बचेगी या जाएगी।
झारखंड की राजनीति में ब्यूरोक्रेट्स भी लपेटे में आ गए हैं जिस उद्योग और खान विभाग से सियासी भूचाल लाने वाला डाक्यूमेंट्स निकाला गया है उस विभाग की सचिव पूजा सिंघल के खिलाफ भी हाईकोर्ट में पीआईएल दायर किया जा चुका है। भूमि सुधार मंच के द्वारा दायर किए गए पीआईएल में कहा गया है कि
पूजा सिंघल एक साथ दो विभाग की सचिव और जेएसएमडीसी की चेयरमैन है. एक ही अधिकारी को तीन महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करना नियम के विरुद्ध है।

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