सरयू राय ने कहा,टाटा लीज़ के अंदर और बाहर की बस्तियों में अब तक बिजली कनेक्शन नहीं

गणादेश ब्यूरो
रांची। निर्दलीय विधायक सरयू राय ने ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार को पत्र लिखा है। पत्र में कहा है कि टाटा लीज़ समझौता के अनुसार जमशेदपुर के सभी घरों में बिजली का कनेक्शन कंपनी को देना है। परंतु अन्य बस्तियों की कौन कहे, कंपनी ने टाटा लीज़ के अंतर्गत आनेवाली बस्तियों और टाटा लीज़ से 2005 में बाहर की गई बस्तियों में अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं दिया है। टाटा लीज समझौता 1985 में हुआ था और इसका नवीकरण 2005 में हुआ। इसी का नतीजा है कि टाटा लीज़ के अंतर्गत की अधिकांश बस्तियों, जमशेदपुर की अन्य बस्तियों तथा कंपनी क्वार्टर एवं सबलीज इलाक़ों में विद्युत आपूर्ति की दो तरह की व्यवस्था लंबे समय से क़ायम है। कुछ क्षेत्र कंपनी की बिजली से आच्छादित हैं तो एक बड़ा इलाक़ा सरकार की बिजली से। यह दोहरी व्यवस्था टाटा लीज़ समझौता की भावना के अनुरूप नहीं है। यह जमशेदपुर के नागरिकों के हित में भी नहीं है। इसमें बदलाव होना आवश्यक है।

सरकार ने मेरे सवाल का विधानसभा में जैसा उत्तर दिया है वह निराश करने वाला है। लगता है यह उत्तर देते समय सरकार ने विषयवस्तु की वैधानिकता एवं गम्भीरता का ध्यान नहीं रखा है। विदित हो कि सरकार ने कंपनी को सरायकेला-खरसांवा ज़िला के आदित्यपुर सहित अन्य इलाक़ों में बिजली आपूर्ति हेतु लाईसेंस दिया है। कंपनी वहाँ बिजली की आपूर्ति कर भी रही है। परंतु जमशेदपुर के सभी इलाक़ों में बिजली आपूर्ति का लाईसेंस पूर्व में ही दिये जाने के बावजूद कंपनी
द्वारा अधिकांश बस्तियों में बिजली की आपूर्ति नहीं की जा रही है। विडंबना है कि सरकार भी इस बारे में सचेष्ट नहीं है। ऐसा लगता है कि इस मामले में सरकार भी कंपनी की ही भाषा बोल रही है।
बिजली के वर्तमान संकट के दौर में मुझे लगता है कि लीज़ समझौता से आच्छादित क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति कंपनी से होने लगेगी तो यहाँ खर्च होने वाली बिजली सरकार अन्य जगहों पर दे सकती है।
कंपनी की बिजली पर जमशेदपुर के नागरिकों का वैधानिक अधिकार है जो टाटा लीज़ समझौता से निःसृत है। यह अधिकार उन्हें जितना जल्द मिल सके, मिलना चाहिये। सरकार को इस बारे में गंभीर पहल करनी होगी।

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