रमज़ान अल-मुबारक: आध्यात्मिकता, सहानुभूति और सामाजिक समर्पण का महीना
शंकरपुर :रमज़ान अल-मुबारक, इस्लामी कैलेंडर का नवां महीना है, जिसे मुसलमानों के लिए विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है। यह महीना इबादत, त़कवा (परहेजगारी), और ज़कात देने का अवसर प्रदान करता है, जो समाज में एकता, सहानुभूति और दया की भावना को प्रोत्साहित करता है। रमज़ान में मुसलमान रोज़ा रखते हैं, नमाज़ अदा करते हैं, और गरीबों की मदद के लिए दान देते हैं, जिससे उनका जीवन अधिक आध्यात्मिक और समर्पित बनता है।
फैसल एजुकेशनल सोसाइटी के चेयरमैन जनाब फिरोज आलम नदवी ने रमज़ान के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा, “रमज़ान एक ऐसा महीना है जब हम अपने जीवन में त़कवा और आध्यात्मिकता को बढ़ाते हैं। इस महीने में हर मुसलमान अपने नफ़स (आत्मा) को सुधारने और अल्लाह के प्रति अपनी निष्ठा को पुनः मजबूत करने के लिए इबादत करता है।” उन्होंने बताया कि रमज़ान के दौरान मुसलमान तरावीह नमाज़ पढ़ते हैं और ज़कात तथा सदक़ा देकर गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं। इसके साथ ही, वे अपने दिनों को कुरआन की तिलावत और दुआओं में बिताते हैं और रातों को तरावीह और क़याम-उल-लैल (रात की विशेष नमाज़) अदा करते हैं।
फिरोज आलम नदवी ने इस महीने की सामाजिक भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना, और कहा, “रमज़ान न केवल हमारे व्यक्तिगत सुधार का महीना है, बल्कि यह एक ऐसा समय है जब हम समाज के जरूरतमंदों के लिए अपनी मदद की भावना को प्रकट करते हैं। इफ्तार का सामूहिक आयोजन, एक-दूसरे के साथ साझा करना, और ज़कात तथा सदक़ा देना, इस महीने की विशेषताएँ हैं। यह हमें दया, सहानुभूति और समाज में भाईचारे को बढ़ावा देने की प्रेरणा देता है।”
गंगा-जमुनी तहज़ीब पर अपने विचार साझा करते हुए फिरोज आलम नदवी ने कहा, “गंगा-जमुनी तहज़ीब एक ऐसा अनमोल धरोहर है जो भारत के विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच सौहार्द और एकता का प्रतीक है। यह हमें यह सिखाती है कि हम सभी अपनी विविधताओं के बावजूद एक साथ मिलकर रह सकते हैं और दूसरों का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रमज़ान हमें न केवल अपनी आध्यात्मिकता को प्रगाढ़ करने का अवसर देता है, बल्कि यह हमें अपने सामाजिक कर्तव्यों को भी याद दिलाता है। फिरोज आलम नदवी ने रमज़ान के दौरान सभी मुसलमानों से अपील की कि वे अपने दिलों में सहानुभूति, दया और करुणा की भावना को बढ़ावा दें, अपने गुनाहों से माफी मांगें, और दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एकजुट होकर काम करें।
उन्होंने रमज़ान के इस पाक महीने में अल्लाह से दुआ की कि सभी मुसलमानों की इबादत स्वीकार हो, और समाज में शांति, प्रेम और सहयोग का वातावरण बने।
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