लोकसभा अध्यक्ष को राहुल ने लिखा दूसरा पत्र- मुझे सदन में बोलने का अधिकार

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ब्रिटेन में भारतीय लोकतंत्र पर दिए बयान पर के बाद भाजपा के निशाने पर हैं। भाजपा लगातार उनसे माफी की मांग कर रही है। वहीं, राहुल का कहना है कि उन्होंने भारत के खिलाफ कोई अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। इसी क्रम में राहुल गांधी ने मंगलवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक बार फिर पत्र लिखा कर कहा है कि मुझ पर बेतुके और बेकार के आरोप के लगाए जा रहे हैं। उन्होंने अपील की है कि ब्रिटेन में दिए गए बयान को लेकर सदन में अपनी बात रखने का मौका दिया जाए, क्योंकि उन्हें सदन में बोलने का अधिकार है। इसी मामले में राहुल गांधी ने सोमवार को भी लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा था। संसद में अपनी बात रखने की मांग की थी।
बता दें कि ब्रिटेन में भारतीय लोकतंत्र पर टिप्पणी को लेकर भाजपा उनसे लगातार माफी की मांग कर रही है। वहीं, राहुल का कहना है कि सरकार के कुछ मंत्रियों ने उनपर भारत के खिलाफ बोलने के आरोप लगाए हैं, जो पूरी तरह से बेसलेस है। पत्र में राहुल गांधी ने लोकसभा के नियम 357 का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि नियम 357 सदन में पर्सनल एक्सप्लेनेशन की अनुमति देता है। राहुल के मुताबिक, कोई भी सांसद स्पीकर की परमिशन से अपना स्पष्टीकरण दे सकता है, भले ही सदन के सामने कोई सवाल न हो। उन्होंने कहा कि वह यह परमिशन संसदीय परंपराओं, नेचुरल जस्टिस के संवैधानिक रूप से निहित नियमों और लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 357 के तहत मांग रहा हूं।
अपने पत्र में राहुल ने लिखा है कि वे प्रशासनिक मनमानी के खिलाफ एक गारंटी हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को एक ऐसे मामले में सुनवाई का अधिकार है, जिससे वे संबंधित हैं। निश्चित रूप से, आप इस बात से सहमत होंगे कि सभी संस्थानों की तरह संसद इस अधिकार के सम्मान करने की जिम्मेदारियों से बच नहीं सकती। उन्होंने कहा कि लोकसभा डिजिटल लाइब्रेरी पर भी कई उदाहरण मौजूद हैं, जो बताते हैं कि यह अधिकार संसद के भीतर दिए गए बयानों का जवाब देने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पब्लिक डोमेन में लगाए गए आरोपों तक भी है।
भारत का अपमान नहीं किया
बता दें कि इससे पहले राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी कहा था कि वह सदन में बोलना चाहते हैं। भाजपा उनसे लगातार माफी की मांग कर रही है। राहुल पिछले हफ्ते भी पार्लियामेंट की विदेशी मामलों की कंसल्टेटिव कमेटी के सामने कह चुके हैं कि उन्होंने भारत का अपमान नहीं किया है।

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