फिल्मों की लोकप्रिय ‘मां, सुलोचना नहीं रही

नई दिल्ली : मराठी-हिंदी सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री और हीरो की मां के रूप में फेमस सुलोचना लाटकर ने 94 साल की उम्र में रविवार देर शाम अंतिम सांस ली। पिछले कई दिनों से उनकी हालत गंभीर थी और अस्पताल में भी भर्ती थीं। सुलोचना ने उम्र संबंधी कई बीमारियों के चलते दम तोड़ा। उनका अंतिम संस्कार सोमवार सुबह दादर में किया जाएगा।
फिल्मों में सुलोचना ने साल 1988 में काम करना बंद कर दिया था, लेकिन वह एक्टिंग को काफी मिस करती थीं। उनका कहना था कि वह अगले जन्म में भी अभिनेत्री बनना चाहती हैं।
बता दें कि सुलोचना लाटकर ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को कई हिट मूवीज दी हैं। इनमें ‘कटी पतंग’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘दिल देके देखो’ और ‘खून भरी मांग’ जैसी फिल्में शामिल रहीं। इसके अलावा वह कई मराठी फिल्मों में भी दिखीं। लोग इन्हें अभिनेता की ऑनस्क्रीन मां के किरदार से ही जानते थे। इनमें ‘रेशमा और शेरा’, ‘मजबूर’ और ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जैसी फिल्में शामिल हैं। अमिताभ बच्चन ने कई बार अपने ब्लॉग में सुलोचना का जिक्र किया है।
सुलोचना, अर्थराइटिस की बीमारी से काफी परेशान थीं। फ्री टाइम में फिल्में देखना पसंद करती थीं। आखिरी फिल्म सुलोचना ने ‘बाजीराव मस्तानी’ देखी थी जो संजय लीला भंसाली ने बनाई है।
सुलोचना ने हिंदी सिनेमा में 250 से भी अधिक फ़िल्मों में काम किया है। 40 के दशक में अपने करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने कई बड़ी फ़िल्मों में हीरोइन के रोल निभाए थे, लेकिन बाद में हिंदी सिनेमा में उनकी पहचान एक ‘मां’ का किरदार निभाने वाली अदाकारा के तौर पर होने लगी थी।
सुलोचना ने सैंकड़ों फ़िल्मों में बड़े-बड़े हीरो/हीरोइन की मां और उनके रिश्तेदारों की भूमिकाएं निभाईं और एक चरित्र अभिनेत्री के तौर पर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई। उन्होंने एक मां के रूप में देव आनंद, दिलीप कुमार, धर्मेंद्र, सुनील दत्त, राजेश खन्ना की मां/रिश्तेदार की भूमिकाएं सबसे अधिक बार निभाई थीं। एक इंटरव्यू में भी इस बात जिक्र भी किया रहा हीरो की मां की भूमिका निभाना बहुत पसंद है।
सुलोचना ने‌ 50 के दशक के अंत में मां और चरित्र भूमिकाएं निभाना शुरू किया था। इससे पहले तक उन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों में लीड हीरोइन के तौर पर काम किया। इस दौरान उन्होंने अशोक कुमार, त्रिलोक कपूर और नाजिर हुसैन जैसे 40 और 50 के दशक के कई हीरो के अपोजिट लीडर एक्टर के रूप में काम किया।
सिनेमा में योगदान देने के लिए मिला था ये सम्मान
सुलोचना को 1999 में पद्मश्री पुरस्कार से, 2004 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से, तो वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से साल 2009 में प्रतिष्ठित महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

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