झारखंड में राजनीतिक बवंडर, आम जन हलकान, अफसर ले रहे मजे, गली मुहल्लों में बस पॉलिटिक्स ही पॉलिटिक्स

रांचीः झारखंड में राजनीतिक बवंडर की स्थिति बनी हुई है। हर दिन नए पैंतरा। आम जन हलकान है। पेंशन, मुआवजा, सहित अन्य जनकल्याणकारी काम डंप हो गए हैं। सचिवालयों में बस खुसुर-फुसुर में दिन कट रहा है। अफसर भी राजनीति के मजे ले रहे हैं। कहा भी जा रहा है नए सिपाहसलार आने के बाद काम होगा। गली मुहल्लों में सिर्फ पॉलिटिक्स ही पॉलिटिक्स। कौन आएगा कौन जाएगा। किसकी बनेगी, किसकी गिरेगी, कौन छड़पेगा, कौन बना रहेगा बस यही कयास में दिन बीता जा रहा है। वहीं पत्थर खनन आवंटन मामले में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट केस का सामना कर रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को महागठबंधन के विधायकों में सेंधमारी का डर सता रहा है। कभी पिकनिक पॉलिटिक्स तो कभी बैठकों का दौर। राजभवन भी खामोश हो कर माजरे को देख रहा है। दूसरी तरफ कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार बुरी तरह घिरी हुई है। एक तरफ दुमका में अंकिता हत्याकांड को लेकर सरकार पर सवाल उठ रहे हैं तो दूसरी तरफ पलामू में महादलितों पर हुए अत्याचार को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। इससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कुछ विधायक बिकने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन ऐसे भी विधायक होते हैं जो इसके लिए तैयार नहीं होते। उन्होंने कहा कि उन्हें कुर्सी का लालच नहीं है और इसलिए तनाव में नहीं है। मुख्यमंत्री झारखंड में कैश के साथ पकड़े गए कांग्रेस के तीन विधायकों से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे। इससे पहले रविवार को सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि आज जो स्थिति है, उससे हॉर्स ट्रेडिंग की बदबू आ रही है। भाजपा पीठ में छुरी क्यों मार रही है, इससे अच्छा है कि डायरेक्ट 356 लगाकर हमारी सरकार को बर्खास्त कर दे। कुल मिलाकर सस्पेंस बरकरार है।

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